HOLI Alert: क्या है होलाष्टक? पूरे 8 दिन नहीं किए जाते कोई शुभ कार्य, जानिए कब से कब तक रहेगा?

होली से ठीक एक हफ्ते पूर्व शुरू होने वाले होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक चलेंगे. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक चलने वाले होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते है. इन 8 दिनों के मध्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि भी निषेध माने गए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर

Holi Special: साल 2024 में रंगो का त्योहार होली 25 मार्च को सेलीब्रेट किया जाएगा, जबकि 24 मार्च को होलिका दहन होगा, लेकिन इससे पहले राजस्थान में 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं. 8 दिवसीय होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है, लेकिन ये 8 देवी-देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ बताए गए हैं.

होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. देशभर में होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, पूर्णिमा से 8 दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. 

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक  लगेगा. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है.

होली से ठीक एक हफ्ते पूर्व शुरू होने वाले होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक चलेंगे. फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक चलने वाले होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते है. इन 8 दिनों के मध्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि भी निषेध माने गए हैं.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है. साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही होता है.फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाने जाती है, लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है.

होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन देवी-देवताओं की अराधना के लिए ये दिन बहुत ही श्रेष्ठ माने जाते हैं. इस बार होलिका दहन 24 मार्च तक 2024 को होगा. इसलिए होलाष्टक यानी 17 मार्च से लग जाएंगे और 8 दिन बाद यानी कि 25 मार्च को होली खेली जाएगी.

दान-पुण्य से मिलेगा लाभ

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए.

Advertisement
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दिन में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मनुष्य को उसकी हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से 8 दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक लगेगा. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है. ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं.

क्यों लगते है होलाष्टक?

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि राजा हिरण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने इन 8 दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं. इसके बाद 8वें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए.

Advertisement
होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.

होलाष्टक पर न करें ये कार्य 

भविष्यवक्ता व कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं. यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है.

भविष्यवक्ता व्यास ने बताया कि एक मान्यता अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए. यही वजह है कि  शादी के बाद आज भी बेटियां पहली होली मायके में मनाती हैं. 

होलाष्टक पर करें आराधना 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके.

Advertisement

ये भी पढ़ें-Holi Special Train: अब घर जाने की न ले टेंशन, जोधपुर से शुरू हुई नई ट्रेन, जानिए शेड्यूल