AYUSH NEET UG 2024: भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित आयुष अंडरग्रैजुएट-पाठ्यक्रम को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. होम्योपैथी, यूनानी तथा सिद्धा ही नहीं, अपितु आयुर्वेद जैसी महान चिकित्सा पद्धति के अंडरग्रैजुएट-पाठ्यक्रम बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी-बीएएमएस में प्रवेश को लेकर भी विद्यार्थियों का रुझान कमजोर है. वर्तमान स्थिति यह है कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन (NCISM) ने बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी-बीएएमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम पात्रता-परसेंटाइल को सभी वर्गों के लिए 15%-घटा दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हो सके एवं बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी-BAMS पाठ्यक्रम की सीटें रिक्त ना रहें.
प्रवेश पात्रता का न्यूनतम परसेंटाइल अब क्या?
बीएएमएस-पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु जनरल तथा ईडब्ल्यूएस कैटेगरी की न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल पहले 50% होती थी. उसे अब 15%-घटाकर 35% कर दिया गया है. इसी प्रकार ओबीसी-एनसीएल, एससी तथा एसटी कैटेगरी हेतु न्यूनतम पात्रता का परसेंटाइल अब 40% से घटकर मात्र 25% रह गया है.
निश्चित तौर पर कमीशन द्वारा यह विवशता में उठाया गया कदम है तथा कई लोग इसे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शैक्षणिक-गुणवत्ता के साथ एक समझौते की तरह भी देख रहे हैं.
फिर से प्रारंभ की जाएगी काउंसलिंग प्रक्रिया
आयुष एडमिशन सेंट्रल काउंसलिंग कमेटी (AACC) द्वारा गत 18 नवंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन में आयुष अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रमों (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी तथा सिद्धा) हेतु न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल घटाने की जानकारी साझा की गई है. लेकिन नई घोषित पात्रता परसेंटाइल से संबंधित अंकों की सूचना अभी नहीं दी गई है.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा नीट-यूजी,2024 का रि-रिवाइज्ड परीक्षा परिणाम जारी करते समय दी गई सूचना के अनुसार न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल से संबंधित अंक इस प्रकार हैं-
1.जेनरल तथा ईडब्ल्यूएस कैटेगरी 50-परसेंटाइल, संबंधित अंक-162
2.ओबीसी-एनसीएल, एससी तथा एसटी कैटेगरी 40-परसेंटाइल, संबंधित अंक-127
न्यूनतम पात्रता परसेंटाइल घटाने के पश्चात-जनरल तथा ईडब्ल्यूएस कैटेगरी हेतु यह परसेंटाइल-35% तथा ओबीसी-एनसीएल, एससी एवं एसटी केटेगरी हेतु यह परसेंटाइल-25% रह गई है.
ऐसी स्थिति में अब सभी वर्गों में 720-में से 127-अंकों से भी कम अंक प्राप्त करने वाले, अर्थात 17%-अंकों से भी कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भी बैचलर ऑफ़ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी-बीएएमएस पाठ्यक्रम तथा अन्य अंडरग्रैजुएट आयुष पाठ्यक्रम में आयुष सेंट्रल-काउंसलिंग तथा स्टेट-काउंसलिंग के तहत प्रवेश के पात्र होंगे.
शीघ्र ही सेंट्रल तथा स्टेट काउंसलिंग के तहत प्रवेश का नया शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा.
अंडरग्रैजुएट-आयुर्वेद पाठ्यक्रम में कैसे बढ़ेगी दिलचस्पी
अंडरग्रैजुएट आयुर्वेद पाठ्यक्रम, बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी-बीएएमएस पाठ्यक्रम की ब्रांडिंग कमजोर है. इस पेशे में विद्यार्थियों को पद, प्रतिष्ठा एवं पैसे तीनों का अभाव दिखता है.
दूसरी ओर एलोपैथिक अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम या MBBS में पद प्रतिष्ठा एवं पैसे तीनों की बहुतायत है. ऐसे में विद्यार्थी 'एमबीबीएस-पाठ्यक्रम' में प्रवेश हेतु मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में कई बार प्रयास करना गवारा कर लेता है किंतु अंडरग्रैजुएट आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं लेता.
वस्तुस्थिति यह है कि प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का इस ओर झुकाव लगभग नगण्य है. ऐसे में वर्तमान समय में अंडरग्रैजुएट आयुर्वेद पाठ्यक्रमों की री-ब्रांडिंग की आवश्यकता है. ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (एम्स) तथा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शैक्षणिक-ब्रांड्स की सहायता से इन संस्थानों में ही अंडरग्रैजुएट आयुर्वेद पाठ्यक्रमों का आधुनिकीकरण कर नए करिकुलम के साथ इन्हें री-लॉन्च किया जाए.
इन पाठ्यक्रमों के साथ विशेष पैकेज भी दिए जाएं ताकि विद्यार्थी एवं अभिभावकों में विश्वास उत्पन्न किया जा सके और उन्हें यह महसूस हो कि इन पाठ्यक्रमों में भविष्य बेहतरीन है.
ये भी पढ़ें-:
बदल रहा है कोटा का कोचिंग कल्चर
JEE-MAIN 2025 का नोटिफिकेशन जारी, जनवरी में पहला और अप्रैल में होगा दूसरा सेशन
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
लेखक परिचयः देव शर्मा कोटा स्थित इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और फ़िज़िक्स के शिक्षक हैं. उन्होंने 90 के दशक के आरंभ में कोचिंग का चलन शुरू करने में अग्रणी भूमिका निभाई. वह शिक्षा संबंधी विषयों पर नियमित रूप से लिखते हैं.