सात समंदर पार से आए प्रवासी पक्षियों ने राजस्थान के इस जिले में डाला डेरा, मन मोह लेंगी ये तस्वीरें
झालावाड़ जिले में आजकल प्रवासी पक्षियों का जमघट लगा हुआ है. 7 समुंदर पार करके हुए झालावाड़ के विभिन्न जलाशयों में अठेखिलां करते हुए प्रवासी पक्षियों को देखकर कोई भी रोमांचित हुए भी नहीं रह सकता है. हालांकि प्रवासी पक्षी लंबे समय से यहां आते रहे हैं और कभी-कभी इनकी संख्या काफी कम हो जाती है.
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झालावाड़ जिले में आजकल प्रवासी पक्षियों का जमघट लगा हुआ है. 7 समुंदर पार करके हुए झालावाड़ के विभिन्न जलाशयों में अठेखिलां करते हुए प्रवासी पक्षियों को देखकर कोई भी रोमांचित हुए भी नहीं रह सकता है. हालांकि प्रवासी पक्षी लंबे समय से यहां आते रहे हैं और कभी-कभी इनकी संख्या काफी कम हो जाती है.
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प्रवासी पक्षियों ने झालावाड़ जिले के विभिन्न जलाशयों में अपना डेरा जमा रखा है और जलाशयों में विभिन्न प्रजातियों वाले प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां पक्षी प्रेमियों को काफी आकर्षित कर रही हैं. इन दिनों तालाबों पर पक्षी प्रेमी व फोटोग्राफर खूब पहुंच रहे हैं.
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विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शीत ऋतु के प्रारंभ से ही झालावाड़ में लगभग 150 तरह के प्रवासी पक्षी आना शुरू हो जाते हैं, जिनकी कुल संख्या कई हज़ारों में होती है. जलाशयों के आसपास इन प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा इन दिनों को देखने को मिल रहा है. इसमें झालावाड़ का खंड्या तालाब, नया झालरापाटन का गोमती सागर, मूंडलिया खेड़ी तथा बड़बेला का तालाब प्रमुख रूप से शामिल है.
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विशेषज्ञों के अनुसार झालावाड़ और उसके आसपास के विभिन्न जलाशयों पर कॉमन कूट, नार्दन पिनटेल, नार्दन शॉवलर, कॉमन पॉचार्ड, टफ्टेड पॉचार्ड, रेड क्रेस्टेड पॉचार्ड, कॉमन टील, बार हेडेड गूज़, रडी शेल डक, ग्रे लेग गूज़ प्रजातियों के प्रवासी पक्षी भी देखने को मिल रहे हैं.
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इसके साथ ही दुर्लभ प्रजातियों के पालास गल, ग्रेटर फ्लेमिंगो, गे्रट व्हाइट पेलिकन, व्हाइट टेल लेपविंग, येल्लो वाटल्ड लेपविंग, लिटिल ग्रिब, कोटन पिगमि गूज़ व्हिलिंग टील, पेंटेड स्टार्क, ब्लैक स्टार्क, वूली नेक्ड स्टार्क, सेंडपाइपरस, स्टिंट, प्लोवरस, इग्रेट, शिकारी पक्षियों में मार्श हेरियर, ओस्प्रे सहित प्रवासी पक्षी भी देखने को मिल रहे हैं.