Abhaneri chand baori history in hindi: राजस्थान की रेतीली धरती अपने भीतर न जाने कितने राज दफन किए हुए है. इन्हीं में से एक ऐसा रहस्य है जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग दौसा जिले के आभानेरी गांव (Abhaneri Village) पहुंचते हैं. यहां स्थित है 'चांद बावड़ी'—एक ऐसी ऐतिहासिक धरोहर, जो अपनी वास्तुकला से वैज्ञानिकों को हैरान करती है और अपनी लोककथाओं से आम लोगों को रोमांचित करते हुए शरीर में सिहरन पैदा करती है.
जिन्नों ने बनाई या राजा ने?
राजस्थान के इतिहास की गहरी परतों को अगर जानने की कोशिश करे, तो पता चलता है आभानेरी की चांद बावड़ी विश्व की सबसे बड़ी और गहरी राजस्थान की प्राचीनतम बावड़ियों में से एक मानी जाती है.इसका निर्माण निकुम्भ वंश के राजा चांद (चन्द्र) ने 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी में कराया था, जब वे तत्कालीन आभानगरी (वर्तमान आभानेरी) पर शासन करते थे.
लेकिन, स्थानीय लोगों के बीच एक ऐसी कहानी भी प्रचलित है जो रोंगटे खड़े कर देती है. कुछ लोग मानते हैं कि इतनी विशाल और सटीक ज्यामितीय (Geometrical) संरचना इंसानों के बस की बात नहीं थी,लोकमान्यता है कि इस बावड़ी को जिन्नों ने मात्र एक रात में बनाकर तैयार किया था.
कुल 1300 सीढ़ियां हैं.
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1300 सीढ़ियां और अद्भुत स्थापत्य कला
यह बावड़ी योजना में वर्गाकार है और लगभग 19.5 मीटर गहरी है. इसमें कुल 1300 सीढ़ियां हैं. इसकी बनावट ऐसी है कि इसे 'भूल-भुलैया' कहा जाता है. बावड़ी का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में स्थित है. नीचे उतरने के लिए तीन दिशाओं में दोहरी सीढ़ियां बनाई गई. स्थानीय लोगों का दावा है कि कोई भी व्यक्ति जिस सीढ़ी से नीचे उतरकर पानी तक जाता है, वह चाहकर भी उसी सीढ़ी से वापस ऊपर नहीं आ सकता. लोग अक्सर अपना रास्ता भटक जाते हैं. वही उत्तर दिशा में बने स्तंभों पर आधारित बहुमंजिली दीर्घा निर्मित है. इसी दीर्घा से निकले दो मंडपों में महिषासुरमर्दिनी और भगवान गणेश की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित हैं.
गुमशुदा बारात की खौफनाक कहानी
आभानेरी की हवाओं में एक और रहस्यमयी किस्सा तैरता है. बुजुर्ग बताते हैं कि सदियों पहले एक पूरी बारात इस बावड़ी में उतरी थी.उस बारात में शामिल लोग बावड़ी के रहस्यों में ऐसे खोए कि आज तक कोई वापस बाहर नहीं आया. हालांकि, इतिहासकार इसे महज एक कल्पना मानते हैं, लेकिन यह कहानी आज भी पर्यटकों की जिज्ञासा को बढ़ाती है.एक अन्य मान्यता के अनुसार, चांदनी रात में जब चंद्रमा की रोशनी बावड़ी पर पड़ती है तो पूरी बावड़ी जगमगा उठती है.
सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही मिलती है एंट्री
बावड़ी का प्राकार, पार्श्व बरामदे और प्रवेश मंडप मूल योजना का हिस्सा नहीं थे, इनका निर्माण बाद के काल में किया गया. वर्तमान में इस ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), जयपुर मंडल द्वारा की जा रही है. पर्यटक यहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही प्रवेश कर सकते हैं.
हर्षद माता मंदिर
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हर्षद माता मंदिर भी आकर्षण का केंद्र
चांद बावड़ी के समीप स्थित हर्षद माता मंदिर भी पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है. इस विशाल मंदिर का निर्माण भी चौहान वंशीय राजा चांद ने 8वीं-9वीं शताब्दी में कराया था. महामेरु शैली में निर्मित यह पूर्वाभिमुख मंदिर दोहरी जगती पर स्थित है. मंदिर के गर्भगृह और मंडप की बाहरी दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं, जो धार्मिक और लौकिक जीवन के दृश्य दर्शाती हैं.
खंडित मूर्तियां और इतिहास की गवाही
आभानेरी चांद बावड़ी के बरामदों में 8वीं-9वीं शताब्दी की कई खंडित मूर्तियां संरक्षित हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों की मूर्तियां खंडित कर दी गई थीं, जिन्हें बाद में सुरक्षित कर यहां रखा गया.आज भी ये मूर्तियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का विषय हैं.
भारत और विदेश से हर दिन देखने आते हैं पर्यटक
राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र में स्थित इस विश्व प्रसिद्ध आभानेरी की चांद बावड़ी देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई है. यहां हर वर्ष यूरोप, अमेरिका, जापान सहित कई अन्य देशों से हजारों विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं, वहीं देश के कोने-कोने से भी सैलानी इस ऐतिहासिक धरोहर का दीदार करने आते हैं.
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