Rajasthan: दो भाइयों ने 35 फीट ऊंची पहाड़ी काटकर बनाया तालाब, अब बागवानी कर कमा रहे लाखों रुपए

Rajasthan: अरावली की दुर्गम पहाड़ियों में नवाचार कर भीलवाड़ा के प्रगतिशील किसान सुभाष चौधरी का खेत इस समय वैज्ञानिकों की पसंद बन गया है. पथरीली जमीन पर फार्म पॉड बनाकर उसमें केसर आम, चीकू, आंवला, अंजीर, सीताफल सहित कई पौधे लगाए है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
125 बीघा जमीन पर बना फार्म पॉड

Bhilwara News: इंसान चाहे तो पत्थर को पिघलाकर संकट की घड़ी को अवसर में बदल सकता है. इन पंक्तियों को दो भाइयों पराक्रम सिंह-सुभाष चौधरी की जोड़ी ने सच साबित कर दिखाया, जो मेवाड़ के दशरथ मांझी बन गए. कोविड संक्रमण काल ​​में शुरू हुई उनके संघर्ष की कहानी मौजूदा दौर में लोगों में आगे बढ़ने का उदाहरण बन रही है. मेवाड़ के दो भाइयों ने करीब 35 फीट ऊंची और 30 हेक्टेयर जमीन पर पहाड़ी काटकर कृत्रिम तालाब बनाया. जिस पहाड़ी को वैज्ञानिकों ने किसी फसल के लिए उपयुक्त नहीं माना था, उस पर फिलहाल 125 बीघा जमीन पर सफलतापूर्वक खेती की जा रही है.

कोविड के दौरान शुरू हुआ था सफर

यह सफर कोविड के दौरान शुरू हुआ जब सारे काम बंद थे, तब दोनों भाइयों ने भीलवाड़ा उदयपुर हाईवे पर गुरला गांव में 125 बीघा की पहाड़ियों पर फलदार पौधे लगाने का संकल्प लिया. शुरुआती दौर में पथरीले रास्ते से अपने खेत की आखिरी सीमा तक पहुंचना उनके लिए काफी मुश्किल था. आज 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद करीब 125 बीघा का बगीचा आम, चीकू, शरीफा, आवा, नींबू और अंजीर से लहलहा रहा है. इतना ही नहीं, गुजरात का मशहूर केसर आम भी अब वहां पैदा होने लगा है. इसी कारण किसान  सुभाष चौधरी और पराक्रम सिंह के बगीचे को उद्यान विभाग पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पेश कर रहा है.

Advertisement

30 हेक्टेयर जमीन पर पहाड़ी काटकर कृत्रिम तालाब बनाया
Photo Credit: NDTV

3 करोड़ लीटर पानी किया जाएगा इकट्ठा 

पथरीली जमीन और पहाड़ी को काटकर बनाए गए फार्म पोंड से बागानों को पानी दिया जा रहा है. बची हुई पहाड़ियों से बारिश का पानी इकट्ठा किया जा रहा है जो करीब 3 करोड़ लीटर होता है.बचाए गए बारिश के पानी का इस्तेमाल केसर आम, शरीफा, अंजीर, आंवला, चीकू और नींबू की सिंचाई में किया जा रहा है. यह फार्म पोड 4 बीघा में करीब 10 हजार वर्ग मीटर और 25 फीट गहरा बनाया गया है.

अरावली की पहाड़ियों के बीच बनाया बगीचा

अरावली की दुर्गम पहाड़ियों में नवाचार कर भीलवाड़ा के प्रगतिशील किसान सुभाष चौधरी का खेत इस समय वैज्ञानिकों की पसंद बन गया है. उदयपुर रोड पर मुजरास टोल नाके के पास सुंदरपुरा स्थित पथरीली जमीन पर फार्म पॉड बनाकर उसमें केसर आम, चीकू, आंवला, अंजीर, सीताफल सहित कई पौधे लगाए है जो अब पेड़ बन गए हैं. एक समय कृषि वैज्ञानिकों ने इस जमीन को खेती के लिए अनुपयोगी घोषित कर दिया था. 

Advertisement

ड्रिप सिस्टम लगाकर हो रही है खेती

उद्यान विभाग के उपनिदेशक राकेश माला ने बताया कि विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने इसे प्रदेश में मॉडल बताया था. फार्म पॉड के जरिए पूरी 30 हेक्टेयर जमीन पर ड्रिप सिस्टम लगाया गया है, जिससे कम पानी में विभिन्न फलदार पौधों की सिंचाई हो रही है.चार साल पहले लगाए गए ये पौधे अब पेड़ बन गए हैं और फल देने लगे हैं. इनसे आमदनी होने लगी है. प्रगतिशील किसान चौधरी ने बाजार में करीब 2.50 लाख रुपए के केसर आम बेचे हैं.

Advertisement

किस किस्म के कितने पौधे

किस किस्म के कितने पौधे

2 हैक्टेयर में सीताफल के 12 हजार पौधे लगा रखे है.
4 हेक्टेयर में केसर आम के 1500.
साढ़े 3 हैक्टेयर में चीकू 800 पौधे अब पेड़ बन गए है
अंजीर के 500 पौधे लगाए गए थे.
2 हजार नींबू के पौधे है.
आंवला 5 हेक्टयर में 800 पौधे जीवित है.

किसान पारंपरिक खेती से क्या कर सकते हैं?

उद्यान विभाग के उपनिदेशक राकेश कुमार माला ने बताया कि भीलवाड़ा के आदर्श किसान भागचंद चौधरी ने लगभग सभी सरकारी योजनाओं से जुड़ने का काम किया है. मेवाड़ के किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी भी कर सकते हैं. आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए कई अलग-अलग सब्सिडी योजनाएं चल रही हैं. सरकार फॉर्म भरने पर 20 लाख रुपए तक की सब्सिडी देती है. जिसमें सरकार 5 हेक्टेयर में ड्रिप सिंचाई पर 75% तक सब्सिडी दे रही है. सोलर पंप लगाने पर 60% तक सब्सिडी मिल रही है. इन योजनाओं से जुड़कर किसान आधुनिक तरीके से खेती कर सकते हैं.

125 बीघा का बगीचा
Photo Credit: NDTV

योजनाओं के अनुसार तय हुआ सफलता का सफर

किसान पराक्रम सिंह और योगेश चौधरी ने राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं से जुड़कर काम करना शुरू किया. इसके तहत फलदार वृक्षों की सिंचाई के लिए दो सोलर सिस्टम लगाए गए हैं. इनसे खेत के तालाब में जमा बारिश के पानी से 7.5 एचपी के दो पंप लगाकर ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जा रही है. सोलर पंप से दिन में सिंचाई होती है. इससे बिजली पर निर्भरता खत्म हो गई है.

यह भी पढ़ें: Rajasthan By-Election: "इस बार हालत खराब सुबह 4 बजे लोगों के पैर पकड़ रहे", दिव्या मदेरणा बोलीं- हम किसी के पैर पकड़कर नहीं उठेंगे

Topics mentioned in this article