Farmers Inspirational Story: राजस्थान के किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पारंपरिक खेती की बजाय बागवानी और नकदी फसलों पर विशेष ध्यान देने लगे हैं.नकदी फसल से अच्छी आमदनी होने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला है. भरतपुर जिले का यह किसान आज महीने में लाखों कमा रहा है.
दोस्त की सलाह पर भरतपुर में किसान ने कटहल बागवानी की शुरुआत
किसान बाला सिंह ने बताया कि उसने रासायनिक खाद की बजाय कटहल की बागवानी में जैविक खाद का प्रयोग किया है. यही वजह है कि अन्य कटहल के फल की बजाय यह फल अधिक कीमत पर बिक रहा है. किसान कैलाश सैनी ने बताया कि वह करीब 15 साल से पारंपरिक खेती में गेहूं ,सरसों चना आदि की फसल कर रहे थे.
अधिक मेहनत के बावजूद पारंपरिक खेती में हो रहा था नुकसान
किसान बाला सिंह ने बताया कि पारंपिरक खेती में आर्थिक स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हो रहा था. तब उन्होंने फैसला किया कि वह खेती करने की बजाय किराए पर इसे उठाएंगे और बाहर जाकर मजदूरी करेंगे. जब इस बारे में दोस्त को बताया तो दोस्त ने भुसावर की अच्छी मिट्टी में बागवानी का सुझाव दिया.
6 साल पहले नासिक से 8 हजार रुपए के 50 पौधे कटहल के मंगवाए
किसान ने बताया कि दोस्त की सलाह पर 6 साल पहले नासिक से करीब 200 रुपए हिसाब से करीब 8 हजार रुपए के 50 पौधे कटहल के मंगवाए. जैविक खाद के माध्यम से बागवानी शुरू की. इन पेड़ों ने तीन से पांच साल में बड़ा होने के साथ फल देना प्रारंभ कर दिया.
कटहल के एक पेड़ पर एक सीजन में करीब 150 से अधिक फल आए
नासिक से मंगाए कटहल के बीज और जैविक खेती से कटहल के एक फल करीब 20 से 40 किलो वजनी होता है. किसान का कहना है कि इस फल की मांग भरतपुर, जयपुर, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में है. यहां पर किसानों को सबसे अधिक फायदा स्थानीय क्षेत्र में लगी अचार फैक्ट्ररियों से है, जो कटहल को अचार के लिए सीधे ही किसान से मोल भाव कर खरीद लेती है.
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