Rajasthan News: सोने को पिघला देता है रेगिस्तान का ये पौधा, अब विलुप्त होने के कगार पर

Rajasthan News: रेगिस्तान का अकेशिया जेकमोंटाई अब खत्म होने लगा. यह सोने को पिघलाने की ताकत रखता है. विश्व जैव विविधता दिवस पर हम आपको थार से विलुप्त हो रहे पौधों और झाड़ियों के बारे में बताएंगे.

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Rajasthan News: थार के रेगिस्तान में  जैव विविधता खतरे में है. यहां पर कई पौधे और जंतु विलुप्त हो रह हैं. जो धारों की पहचान थीं, ऐसे पौधे और झाड़ियां अस्तित्व से जूझ रही हैं. बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) की रिपोर्ट के अनुसर अकेशिया जेकमोंटाई (भू भवल्या) धोरे के टॉप पर मिलता है.

अकेशिया जेकमोंटाई जलने पर धुुआं बिल्कुल नहीं होता है  

अकेशिया जेकमोंटाई की विशेषता यह है कि यह जहां पनता है वहां प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता है, इसलिए सुनार इसे सोना पिघलाने के लिए उपयोग में लेते थे, क्योंकि यह 99% जल जाता है. धुआं भी बिल्कुल नहीं होता है. अब यह पौधा खत्म होने लगा है. सुनार भी इसे भूल गए हैं.  

टेफरोसिया फेल्सीपेरम को अब तक खोजा नहीं जा सका

टेफरोसिया फेल्सीपेरम भी विलुप्त होने के कगार पर है. इसे रतिबियानी भी कहते हैं. यह लाल रंग की झाड़ी है, जो धोरों के शिखर पर मिलती है. यह झाड़ी भी विलुप्त हो रही है. फारेसटिया मेकेरंथा बाड़मेर के चट्टानी क्षेत्र में था. इसे करीब 100 साल पहले रिपोर्ट किया गया था, इसे अब तक वापस नहीं खोजा जा सका. 

सरगोड़ा में 38% क्रूड ऑयल होता है

पशुओं की चराई के कारण औषधीय पौधा गूगल भी अस्तित्व से जूझ रहा है. अब केवल ओरणों में बचा है. फोग (केलिगोनम पॉलीगोनोइडस), सहजन जैसा दिखने वाला सरगोड़ा (मोरिंगा कॉनकेनसिंस) और सेवण घास भी बहुत कम बची है. सरगोड़ा में 38% क्रूड ऑयल होता है. यह मूल रूप से कोंकण तट का पौधा है. खोजड़ी भी कम हो गई है. रोहिड़ा अधिक कम हुआ है. रोहिड़े की कटाई पर प्रतिबंध लगा है. इसकी वजह से किसान इसे अब लगाते तक नहीं हैं. 

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हिमालय की मछलियां आई

इंदिरा गांधी नहर के साथ हिमालय रीजन की कई मछलियां अब थार में मिलने लगी हैं.  मछली की महाशेर, गारा जैसी प्रजातियां आसानी से मिल जाती हैं, जबकि यहां गोडावण सहित कई पशु रेड डाटा बुक की सूची में हैं. 

थार की जैव विविधता

  • 3.85 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है थार मरुस्थल
  • 9 वां विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है थार
  • 683 पादपों (फ्लोरा) की प्रजातियां मिलती हैं
  • 1195 जंतु (फोना) की प्रजातियां हैं
  • 492 तरह के पक्षी हैं
  • 60 प्रतिशत पौधे हरबेशियस यानी तना रहित हैं
  • 16 प्रतिशत झाड़ी और 14 प्रतिशत पेड़ हैं

"इंदिरा गांधी नहर आने से बदली जैव विविधता" 

खेजड़ी के पूर्व वैज्ञानिक जेपी सिंह ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर आने के बाद यहां की जैव विविधता है, जो बदल गई है. पहले थार के रेगिस्तान में ठोर गूगल सेवण घास आदि दिखाई देती थी लेकिन, धीरे-धीरे वह लुप्त होती जा रही है.

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"क्लाइमेट के साथ हो रही छेड़छाड़"

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण प्रभारी इंदु शर्मा ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में जिस तरह से क्लाइमेट के साथ छेड़खानी हो रही है, जो की अच्छा संदेश नहीं है. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए बताया कि पश्चिमी राजस्थान में अब लोग ज्यादा प्लांटेशन करने के साथ-साथ क्लाइमेट के साथ छेड़खानी कर रहे हैं, इसकी वजह से बदलाव हो रहा है. 

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