1993 मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट: CBI ने अब्दुल करीम टुंडा को बताया था मास्टरमाइंड, जानिए कोर्ट ने किस आधार पर किया बरी

1993 Mumbai Serial Bomb Blasts Case: 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में सीबीआई ने जिस अब्दुल करीम टुंडा को मास्टरमाइंड बताया था, उसे गुरुवार को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है. जानिए आखिर कोर्ट ने किस आधार पर यह फैसला दिया.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
1993 में मुबंई सहित देश के कई शहरों में हुए बम धमाकों का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा.

Abdul Karim Tunda Mumbai Bomb Blasts Case: साल था 1993, महीना दिसंबर का. बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर मुंबई में कई बम धमाके हुए. इन धमाकों की गुंज गुरुवार को तब फिर महसूस की गई जब इस केस के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया. दरअसल गुरुवार 29 फरवरी को अजमेर की एक विशेष अदालत ने 1993 में कई ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में अब्दुल करीम टुंडा को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका.

टुंडा बरी, दो आरोपी इरफान और हमीदुद्दीन को उम्रकैद

न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता की आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों - इरफान और हमीदुद्दीन - को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी अब्दुल करीम टुंडा (81) पर दिसंबर 1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर विभिन्न शहरों में पांच ट्रेनों में विस्फोट करने का आरोप है. इन बम धमाकों में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे.

Advertisement

टुंडा के वकील बोले- कोर्ट में साबित हुई बेगुनाही

कोर्ट का फैसला आने के बाद टुंडा के वकील शफकतुल्लाह सुल्तानी ने कहा, ‘‘अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया. वह पूरी तरह से निर्दोष है. अदालत ने टुंडा को हर धारा, हर कानून से बरी किया है. अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए उनके पक्ष में ठोस सबूत पेश नहीं कर सका. उसकी बेगुनाही आज एक बार फिर न्यायालय में साबित हुई है.''उन्होंने कहा, ‘‘माननीय टाडा न्यायाधीश ने अब्दुल करीम टुंडा को उसके ऊपर लगाए गए सारे आरोपों, अपराधों से दोषमुक्त कर दिया है, बरी कर दिया है.''

Advertisement

Advertisement

वकील ने कहा,‘‘सीबीआई ने इस सारे मामले को लेकर अब्दुल करीम टुंडा को ‘बेस' बनाया था. ‘बेस' यह था कि टुंडा ने सभी मुल्जिमों को बम बनाना सिखाया और उससे ही प्रेरित होकर इन लोगों ने विभिन्न ट्रेनों में बम रखे.'' उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष ने अदालत के सामने अपनी बात रखी थी कि टुंडा के खिलाफ कोई भी प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और न ही उसके खिलाफ कोई पूरक आरोप पत्र पेश किया गया.

लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में हुए थे धमाके

टाडा अदालत ने 5-6 दिसंबर 1993 की रात लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में यात्री ट्रेनों में हुए विस्फोटों के मामले में मुख्य आरोपी टुंडा और सह आरोपियों-- इरफान उर्फ पप्पू और हमीदुद्दीन- के खिलाफ 30 सितंबर 2021 की आरोप तय किए थे. उनके वकील अब्दुल रशीद ने संवाददाताओं से कहा कि इरफान और हमीदुद्दीन को बम रखने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. रशीद ने कहा, 'हमीदुद्दीन और इरफान को दोषी पाया गया है। उन्हें बम रखने के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। वे उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे.'

मालूम हो कि हमीदुद्दीन पिछले 14 साल से और इरफान पिछले 17 साल से जेल में हैं. आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद हमीदुद्दीन ने कहा, 'मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं. मैं फैसले के खिलाफ उच्चततम न्यायालय में अपील करूंगा.'

टुंडा के खिलाफ कोर्ट में क्या दिए गए दलील

अदालत के आदेश के अनुसार अभियोजन पक्ष ने अपनी दलील में कहा, ‘‘ अभियुक्तों ने आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होकर भारत सरकार को आतंकित करने का प्रयास किया. इसके अलावा उन्होंने लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में बम विस्फोट किया है, विभिन्न समुदायों में वैमनस्य बढ़ाने की कोशिश की है तथा रेलवे संपत्ति एवं जानमाल को क्षति पहुंचाई। ऐसे अपराधियों को कठोर दंड दिया जाए.''

टुंडा के वकील ने दिए ये दलील

दूसरी ओर, आरोपियों ने जांच के दौरान जेल में बिताई गई अवधि के आधार पर उन्हें बरी करने की अपील अदालत से की. हालांकि अदालत ने कहा, ‘‘अभियुक्तों का कार्य गंभीर प्रकृति का रहा है. इसके अलावा आजीवन कारावास की सजा से दंडनीय अपराध के आरोप में यह न्यायालय भुगती हुई सजा पर रिहा किए जाने हेतु सक्षम नहीं है. न ही अभियुक्तों द्वारा किया गया अपराध नरम रुख अपनाये जाने लायक है.''

इस आधार पर कोर्ट ने टुंडा को किया बरी

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद टाडा कोर्ट ने अपने निष्कर्ष में कहा, 'अभियोजन द्वारा केवल इस सीमा तक साक्ष्य पेश किए गए कि अभियुक्त सैयद अब्दुल करीम टुंडा ने अन्य अभियुक्तों जलीस अंसारी और हबीब अहमद को बम बनाने की विधि समझाई थी और उन्हें विस्फोटक उपलब्ध कराए थे. अभियोजन द्वारा यह साक्ष्य पेश किया गया कि अभियुक्त सैयद अब्दुल करीम द्वारा जो विस्फोटक सामग्री जलीस अंसारी को उपलब्ध कराई गई थी, उसका उपयोग मुंबई बम धमाकों से संबंधित अपराध की घटना में किया गया था'.

दो लोगों की हुई थी मौत, 22 लोग हुए थे घायल

नई दिल्ली और हावड़ा जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों, नई दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस, सूरत-बड़ौदा फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस और हैदराबाद-नई दिल्ली एपी एक्सप्रेस में हुए विस्फोटों में दो लोग मारे गए थे और कम से कम 22 घायल हो गए थे. आरोपियों के खिलाफ आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के साथ ही विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम और भारतीय रेलवे अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे.

यह भी पढ़ें - देश के कई शहरों में बम धमाके करने वाले आतंकी टुंडा को TADA कोर्ट ने किया बरी, दो साथियों को सुनाई उम्रकैद की सजा