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1993 Bomb Blast Case:: देश के कई शहरों में बम धमाके करने वाले आतंकी टुंडा को TADA कोर्ट ने किया बरी, दो साथियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

1993 Serial Bomb Blast Case: 30 साल पुराने सीरियल बम ब्लास्ट मामले में आतंकी अब्दुल करीब टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है, जबकि उसके दो साथियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.

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1993 Bomb Blast Case:: देश के कई शहरों में बम धमाके करने वाले आतंकी टुंडा को TADA कोर्ट ने किया बरी, दो साथियों को सुनाई उम्रकैद की सजा
अब्दुल करीम टुंडा

1993 Serial Bomb Blast Case Verdict: 30 साल पुराने राजधानी एक्सप्रेस सीरियल बम ब्लास्ट प्रकरण में आज अजमेर की टाडा कोर्ट के न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता ने एक अहम फैसला सुनाते हुए दो आतंकी हमीदुद्दीन और इरफान को आजीवन कारावास की  सजा सुनाई. वहीं आतंकी अब्दुल करीब टुंडा को सबूतों के अभाव में बारी कर दिया.

अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पांच वह 6 दिसंबर 1993 को राजस्थान के कोटा सहित अलग-अलग जगह पर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में सीरियल बम ब्लास्ट कर देश में दहशत फैलाने फैलाने वाले प्रकरण में आरोपी उत्तर प्रदेश निवासी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा हमीदुद्दीन उर्फ हमीद, और इरफान के खिलाफ आज सुनवाई पूरी हुई. इससे पूर्व इस प्रकरण में तीनों आतंकियों के कुछ अन्य साथियों को टाटा कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है. वह सभी न्यायिक अभिरक्षा में है. इसी प्रकरण में चार आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत भी मिल चुकी है.

फैसला होने के बाद भी चलता रहेगा कैस

अभी इस प्रकरण प्रकरण में आरोपी निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल फरार चल रहे हैं. हम आपको बता दें बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने से नाराज आतंकी संगठन ने एकजुट होकर पहली बरसी के अवसर पर 'जवाबी भीम' का लोगों में दहशत फैलाने और सरकार को अपना संदेश देने के लिए इस बड़े अपराध को कार्य करने की योजना बनाई थी. उसे समय अब्दुल करीम टुंडा की उम्र करीब 50 साल हमीदुद्दीन उर्फ हामिद की उम्र 18 साल थी. घटना के बाद लंबी फेरारी काटते हुए दोनों को जांच एजेंसियों ने अलग-अलग वारदातों में गिरफ्तार किया था. टुंडा के दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद होने की सूचना पर जांच कर रही सीबीआई प्रोडक्शन वारंट से उसे गिरफ्तार कर अजमेर लाई थी. इसी दौरान अजमेर जेल से आतंकी टुंडा पैरोल लेकर फरार हुआ था, जिसे नेपाल बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया गया था.

आरोपियों को निशुल्क मिलते हैं अधिवक्ता

इतने बड़े संगठित अपराध करने के आरोपियों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निशुल्क अधिवक्ता मिलने की सुविधा भी प्राप्त की थी. जिसके अनुसार अब्दुल रशीद एडवोकेट को आरोपी को हमीदुद्दीन और इरफान की पैरवी के लिए और अब्दुल करीम उर्फ टुंडा की पैरवी के लिए एडवोकेट शफकत सुल्तानी को नियुक्त किया गया. वहीं सीबीआई की पैरवी के लिए एडवोकेट भवानी सिंह रोहिल्ला और अदालत के विशिष्ट लोक अभियोजक बृजेश कुमार पांडे संयुक्त रूप से इस केस को लड़ रहे हैं.

2004 में 16 आरोपियों के खिलाफ फैसला

इस सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में इससे पूर्व 28 फरवरी 2004 को 16 अन्य आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाया जा चुका है. टाडा न्यायालय ने सभी को दंडित किया था. किंतु चार आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी.

जानें क्या है पूरा प्रकरण?

घटना की तारीख 5 और 6 दिसंबर 1993 को कोटा, सूरत, सिकंदराबाद और कानपुर में राजधानी एक्सप्रेस में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. इस विस्फोट में एक की मौत और कई घायल हुए थे. इस घटना के बाद देश और दुनिया में दहशत फैल गई थी. सभी घटनास्थल पर अलग-अलग FIR दर्ज हुई थी. फिर जांच सीबीआई को सौंप गई थी. सभी फिर एक साथ जोड़कर देश की एकमात्र अजमेर की टाडा कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. मुख्य चार्ज शीट 1995 में पेश हुई थी. 1997 को आरोपी मोहम्मद अमीन और हमीमुद्दीन उर्फ हमीद के खिलाफ पूरक चार्ज शीट पेश की गई. 28 फरवरी 2004 को आरोपी डॉक्टर जेलिश अंसारी, अशफाअशफाका खान, डॉक्टर हबीब अहमद जमाल अल्वी, फजलुल रहमान, मोहम्मद सलीम अंसारी, मोहम्मद जहीरूद्दीन, मोहम्मद निसरूद्दीन, मोहम्मद शमसुद्दीन, मोहम्मद अजीमुद्दीन, मोहम्मद यूसुफ, मोहम्मद अमीन, मोहम्मद एजाज शाहिद व एक अन्य को उम्र कैद की सजा वह जुर्माने से दंडित किया गया.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत

मोहम्मद यूसुफ, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद निसरूद्दीन और मोहम्मद जहीरूद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. वहीं इस मामले में निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल अभी फरार है.

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