हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करना आवश्यक माना जाता है. गणेश चतुर्थी के अवसर पर राजस्थान के भरतपुर में एक ऐसी प्राकृतिक गणेश मूर्ति के दर्शन करने को मिल रहे हैं, जो अपने आप में अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाली है. दरअसल, यह मूर्ति किसी मूर्तिकार ने नहीं बल्कि प्रकृति ने स्वयं बनाई है. यह मूर्ति बरगद के पेड़ की छाल (जटाओं) से बनी है. मंदिर महंत सुभाष चन्द्र शर्मा ने बताया कि यह मंदिर काली मां का है. इसी मंदिर में 300 से 400 साल पुराना बरगद का पेड़ है. पेड़ के तने पर छाल से स्वत: ही भगवान गणेश की आकृति बनी हुई है. यह बाई सूंड वाले गणेश हैं.
बाई सूंड वाले भगवान गणेश का विशेष महत्व
बाई सूंड वाले भगवान गणेश का विशेष महत्व है. इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और मंगलकारी होता है. गणेश चतुर्थी के मौके पर सुबह से ही भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. भगवान गणेश की प्राकृतिक मूर्ति को प्रत्येक बुधवार को चोला चढ़ाने के साथ-साथ शृंगार किया जाता है.
दूर-दूर से आते हैं लोग
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भरतपुर में बनी इस प्राकृतिक गणेश मूर्ति के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. यह मूर्ति प्रकृति की अद्भुत कलाकृति है. यह मूर्ति लोगों को भगवान गणेश के प्रति आस्था और भक्ति को बढ़ा रही है.
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज भगवान गजानन की प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक का है. इस समय पूरे देश में भगवान गणेश की प्रतिमाएं घरों-मंदिरों में स्थापित की जा रही है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं. इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान गणेश से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.
यह भी पढ़ें - उदयपुर के 360 साल पुराने बोहरा गणेश मंदिर में विशाल मेले की तैयारी, दूर-दूर से जुटते हैं श्रद्धालु