उदयपुर के सुप्रसिद्ध बोहरा गणेश मंदिर को लगभग 360 साल पुराना है. यहां परिवार में कोई भी शुभ कार्य होता है, तो बोहरा गणेश जी को प्रथम निमन्त्रण जाता है. साथ ही निर्विघ्न कार्य संपूर्ण हो यह मनोकामना की जाती है. शहर में कोई व्यापार, कारोबार हो या वाहन की खरीद फरोख्त, कोई आयोजन हो या विवाह जैसा संस्कार, पहला निमंत्रण उन्हें ही दिया जाता है. उनका पूजन कर आशीर्वाद लिया जाता है. बोहरा गणेश जी को मोदक व लड्डू का भोग लगाकर भक्त खुद प्रसाद ग्रहण करते है.
उदयपुर का ऐतिहासिक गणेश मंदिर
महाराणा राजसिंह के शासन काल में बना यह मंदिर, तत्कालीन उदयपुर रियासत के अंतर्गत यह मंदिर आता था और व्यापार व्यवहार (बोहर) की सफलता की कामना को लेकर आने वाले यहां पूजन करते थे ओर कामना करते थे कि उनके कार्य मे कोई विघ्न न आए. यह मंदिर बहुत छोटे नागर रूप वाला है और यहां गर्भगृह में नृत्य करते भगवान गणेश विराजित हैं. श्री विनायक मूर्ति उत्तरमुखी भी है,यह स्वरूप मध्यकाल में बहुत लोकप्रिय रहा.
गणेश चतुर्थी पर लगता है बड़ा मेला
यहां गणेश चतुर्थी पर तो बहुत बड़ा मेला लगता है. उस दिन हजारों श्रद्धालुओं का यहां आकर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करतें है. वैसे हर बुधवार को दर्शन करने के लिये भक्त आते है. संतान, सुख, समृद्धि, यात्रा, निवेश आदि मनोकामना पूरी होने पर प्रसादी(प्रसाद चढ़ाना) करने का चलन है. परम्परागत व्यंजन दाल बाटी चूरमा बनाया जाता है. जिसका भोग भगवान को लगाया जाता है.
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