Akshaya Tritiya: बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है. लगभग 24 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं है. हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि खास बात यह है कि जो लोग गर्मी के मौसम में विवाह करने की सोच रहे हैं, उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. इसकी वजह इन दोनों माह में शुक्र ग्रह का अस्त होना है.
इसके उदित होने के बाद जुलाई में ही मुहूर्त शुरू होंगे. 24 वर्ष बाद मई और जून में एक भी दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा. इसकी वजह दोनों महीनों में शुक्र ग्रह का अस्त होना है. शुक्र उदित होने के बाद जुलाई में ही विवाह मुहूर्त शुरू होंगे. ऐसी स्थिति वर्ष 2000 में भी बनी थी, तब भी मई और जून में कोई विवाह मुहूर्त नहीं था. अक्षय तृतीया पर गुरु तारा अस्त रहेगा. इससे पहले सन 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था. अंग्रेजी वर्ष के अनुसार 29 अप्रैल से 28 जून तक शुक्र तारा अस्त रहेगा. इसी बीच गुरु तारा 6 मई से 3 जून तक अस्त रहेगा. गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया 10 मई को आ रही है. अक्षत तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह की मान्यता है. इस बार अक्षय तृतीया के दिन गुरु व शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे. विवाह के शुद्ध व शुभ मुहूर्त के लिए जुलाई तक इंतजार करना होगा. विवाह के लिए गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है. इन दोनों में से किसी एक के भी अस्त रहने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, इस दिन बिना मुहूर्त के भी युवक-युवतियों का विवाह कराया जाता है. लेकिन इसके लिए भी गुरु व शुक्र के तारे का उदित होना आवश्यक है.
स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है अक्षय तृतीया
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है. यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है. इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण. घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य,पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता.
मई और जून 2024 में अस्त रहेंगे गुरु-शुक्र
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विवाह मुहूर्त में गुरु और शुक्र अस्त का भी विचार किया जाता है. अच्छा शुक्र भोग विलास का नैसर्गिक कारक है और दांपत्य सुख को दर्शाता है. वहीं, गुरु कन्या के लिए पति सुख का कारक है. दोनों ग्रहों का शुभ विवाह हेतु उदय होना शास्त्र सम्मत है, विवाह के लिए शुक्र व गुरु ग्रह का उदित रहना जरूरी है. दोनों ग्रह विवाह के कारक हैं. इनके अस्त रहने पर विवाह नहीं होते हैं. 29 अप्रैल 2024 को शुक्र ग्रह दोपहर में अस्त हो जाएगा, जो 28 जून तक अस्त रहेगा. 6 मई से गुरु ग्रह भी अस्त हो जाएगा, जो 3 जून को उदित होगा, परंतु शुक्र अस्त ही रहेगा इस कारण से मई व जून माह में विवाह की शहनाई नहीं बजेंगी.
गुरु और शुक्र विवाह का कारक ग्रह
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान किया जाता है. इसके अलावा गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है. यदि आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदितमान हो तो ही विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं. यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होता. दोनों ग्रह के अस्त होने से मई-जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे.
अबूझ मुहूर्त होने से दोष नहीं
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 29 अप्रैल से 28 जून तक शुक्र तारा अस्त रहेगा. इसी बीच गुरु तारा 6 मई से 3 जून तक अस्त रहेगा. गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे. हालांकि वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को महामुहूर्त कहा गया है, जो 10 मई को है. इस दिन गुरु-शुक्र तारा अस्त होने से मुहूर्त नहीं है, लेकिन अबूझ मुहूर्त माने जाने से विवाह किया जा सकता है.
अक्ती के नाम से प्रसिद्ध
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया, जो छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा चन्द्रमा उच्च के होते हैं. सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं. इसीलिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है. अक्षय तिथि अर्थात जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता.
17 जुलाई से 12 नवंबर तक चातुर्मास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 17 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. इस दिन से चातुर्मास प्रांरभ हो जाएगा. चातुर्मास का समापन 12 नवंबर को होगा. इसे कार्तिक शुक्ल एकादशी अर्थात देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन से विवाह एवं अन्य शुभ संस्कार शुरू होंगे.
9 जुलाई से शुरू होंगे विवाह
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरु व शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरू होगी. जुलाई में क्रमशः 9 ,11, 12, 13 व 15 जुलाई विवाह की तारीख हैं. इनमें अपने चंद्र बल व गुरु बल की गणना से विवाह के लिए तारीख का चयन किया जा सकता है.
17 जुलाई से चार माह इंतजार करना होगा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांगीय गणना के अनुसार 17 जुलाई को देव शयनी एकादशी है. इस दिन से भगवान विष्णु राजा बलि का आतिथ्य स्वीकार करते हुए चार माह पाताल लोक में निवास करेंगे. यह समय पृथ्वी पर चातुर्मास के रूप में जाना जाएगा. इस दौरान चार माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे. श्रद्धालु जप,तप, नियम का पालन करते हुए धर्म अध्यात्म में रमेंगे. दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव उत्थापनी एकादशी से विवाह आदि शुरू होंगे.