Rajasthan News: पहले हम फिल्मों में देखा करते थे कि सालों बिछड़ी मां या बेटा अचानक से मिल जाते थे. या फिर कुंभ का मेला काफी फेमस था जहां लोग बिछड़ते थे और सालों बाद मिलते थे. लेकिन कम्युनिकेशन की इस दुनिया में ऐसा अब शायद ही होता है कि लोग इस तरह से बिछड़ते हैं. लेकिन ताजा मामला हैरान कर देने वाला है. जहां एक शख्स की पत्नी 9 साल पहले बिछड़ गई थी. बाद में काफी प्रयास के बाद भी नहीं मिली तो पति ने उसे मृत मानकर शादी कर ली. बच्चे भी बड़े हो गए. लेकिन 9 साल बाद अब वही पत्नी एक आश्रम में जिंदा मिली.
खबर भरतपुर की है जहां अपना घर आश्रम में 9 साल बाद एक महिला अपने परिजनों से मिली. छत्तीसगढ़ की रहने वाली तारा 9 साल पहले भरतपुर पहुंच गई थी. उस वक्त वह गर्भावस्था में अपना घर आश्रम पहुंची थी. उस बेटे को जन्म देने के बाद वहां रह रही थी. अब 9 साल बाद वह अपने परिवार से मिल सकी है.
साल 2016 में गलत ट्रेन में बैठ गई थी तारा
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ बीएम भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम में 9 साल पूर्व बिछड़ी तारा का अपने पहले बेटे, दामाद और भाई से मिलन हुआ है. बात उस समय की है जब तारा अपने गांव नौरंगपुर से नजदीकी लगने वाले मेले को देखने आई वहीं से मानसिक संतुलन खोने की वजह से गलत ट्रेन में बैठ गई और घर नहीं पहुंच पाई. मानसिक रूप से विक्षिप्त तथा गर्भावस्था के दौरान 27 मार्च 2016 को करौली जिले के पुलिस थाना सदर, हिण्डौन से सेवा, उपचार एवं पुनर्वास हेतु अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया था. तभी से इनका उपचार जारी था, सेवा और उपचार के दौरान इन्होंने यहां अगस्त 2016 में बेटे को जन्म दिया. जिसका आश्रम परिवार द्वारा हर्ष नाम रखा गया और दोनों की परवरिश अपना घर में होने लगी.
स्वस्थ्य होने पर तारा ने बताया अपना पता
तारा का तभी से मानसिक रोग का उपचार जारी था स्वास्थ में सुधार होने पर तारा ने छत्तीसगढ में अपना पता बताया, जिस पर पुनर्वास टीम ने सम्पर्क किया तथा परिजनों को सूचना दी गई. जिसके आधार पर गांव नौरंगपुर, छत्तीसगढ़ से लेने आये. तारा का बड़ा बेटा अरिन पात्रे और भाई अर्जुन सिंह व दामाद रामू कुमार ने बताया कि करीब 9 साल पहले मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बिना बताये घर से निकल गई जब ये घर से निकली थीं तब इनका बड़ा बेटा 9 साल का और तीन बहन थीं मां के निकलने के बाद हमने इन्हें सभी जगह तलाश किया लेकिन इनका कोई पता नहीं लगा इसके बाद पिताजी कमलेश पात्रे ने दूसरी शादी कर ली और वह अपनी दूसरी पत्नी के साथ पूना में रहते हैं. पिताजी के जाने के बाद हमने खुद ही खेती करके अपना पालन-पोषण किये और बेटे अरिन पात्रे और बहनों की शादी हो चुकी है तथा अरिन का एक बेटा भी है.
दूसरा बेटा अपना घर विद्यालय की कक्षा 4 का विद्यार्थी था. हर्ष को अपना घर विद्यालय द्वारा आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्थानांतरण प्रमाण पत्र सहित मां के साथ विदा किया गया. जब मां-बेटों का मिलन हुआ तो खुशी का ठिकाना न रहा. आश्रम की पुनर्वास प्रक्रिया पूर्ण कर अपने बेटे, भाई व दामाद के साथ नौरंगपुर, छत्तीसगढ चली गई.
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