Rajasthan Politics: किरोड़ी लाल मीणा ने CM के बाद अब PM को भेजी चिट्ठी, शांति धारीवाल की बढ़ सकती है मुसीबत!

Kirodi Lal Meena Letter to PM Modi: राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बीते दिनों सीएम भजनलाल शर्मा को एक चिट्ठी भेजी थी, जिसने प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी थी. एक ऐसी सी चिट्ठी अब मीणा ने पीएम मोदी को भेजी है, जिसके बाद शांति धारीवाल की मुसीबत बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं.

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किरोड़ी लाल मीणा (फाइल फोटो)

Rajasthan News: देशभर में जारी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के बीच राजस्थान के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक चिट्ठी भेजी है, जिससे सियासी गलियारों में नई चर्चांएं शुरू हो गई हैं. इस चिट्ठी के जरिए कैबिनेट मंत्री ने पूर्व कांग्रेस मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Kumar Dhariwal) व अन्य आरोपियों द्वारा किए गए 500 करोड़ रुपये के एकल पट्टा घोटाले को उजागर किया है और पीएम से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.

किरोड़ी लाल की चिट्ठी में क्या लिखा? 

किरोड़ी लाल मीणा ने पीएम को भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा, 'आपके नेतृत्व में भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई होते हुए देश ने देखा है. मैं आपका ध्यान राजस्थान में कांग्रेस सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं गृह नगरीय विकास विधि विभाग के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, भ्रष्ट अधिकारियों और भूमाफिया द्वारा किए गए 500 करोड़ रुपये के एकल पट्टा घोटाले की ओर दिलाना चाहता हूं. एसीबी जयपुर ने परिवादी रामशरण सिंह के परिवाद पर प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 422/2014 दर्ज की थी. सेवानिवृत आईएएस अधिकारी जी.एस. संधु, तत्कालीन आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर, ओंकार मल सैनी तथा भूमाफिया शैलेंद्र गर्ग व अन्य को गिरफ्तार किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने Dr. Gurdial Singh Sandhu की petition for special leave to appeal (criminal) 6468/2016 में 20 अक्टूबर 2016 को कड़ी शर्तों यथा राजस्थान से बाहर रहेंगे, ट्रायल कोर्ट में पासपोर्ट जमा करवायेंगे, जैसी कठोर शर्तों पर जमानत दी थी.'

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अब जुलाई 2024 में होनी है सुनवाई

चिट्ठी में आगे लिखा, 'वर्ष 2016 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने उक्त आरोपियों द्वारा किए गए गंभीर भ्रष्टाचार, अपराध के कारण जमानत नहीं देने की पैरवी राजस्थान सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में की थी. एसीबी ने ट्रायल कोर्ट जयपुर में दो आरोप पत्र प्रस्तुत किए थे, ट्रायल कोर्ट ने प्रसंज्ञान भी लिया था. एसीबी ने शांति धारीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था, वर्ष 2018 तक धारीवाल के विरुद्ध धारा 173 (8) में जांच लंबित रखी थी. लेकिन दिसंबर 2018 में कांग्रेस सरकार बनते ही धारीवाल को नगरीय विकास विभाग का मंत्री बनाया गया. इस घोटाले में आरेपी धारीवाल के अधीन अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई गई. भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए तथ्यों के विपरीत रिपोर्ट गढ़ी गई. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापित व्यवस्था है कि राज्य सरकार अपराधियों के विरुद्ध न्यायालय में पैरवी करेगी, लेकिन भ्रष्ट कांग्रेस सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिए उच्च न्यायालय जयपुर में गलत तथ्यों की पैरवी करवा कर शांति धारीवाल, ज एस संधू, निष्काम दिवाकर और ओंकार सैनी को बरी करवा लिया, उच्च न्यायालय जयपुर के इन दोनों निर्णयों के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी (क्रिमिनल) संख्या 10740-10743/2023 तथा 5074/2023 श्री अशोक पाठक द्वारा प्रस्तुत की गई, जो पेंडिंग है, इन पर जुलाई 2024 में सुनवाई होगी. 

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'झूठी रिपोर्ट के सहारे मिली क्लीन चिट'

मंत्री ने आगे लिखा, 'उक्त आरोपियों से मिलीभगत वाले अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय में 22 अप्रैल 2024 को वही जवाब प्रस्तुत कर दिया जो कांग्रेस सरकार के समय जांच समिति ने झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत कर आरोपियों को बचाया गया. इस प्रकार इस सरकार में आरोपियों ने अधिकारियों से मिलीभगत कर सुप्रीम कोर्ट में क्लीन चिट दिलाने में सफल हो गये. यह गौर करने लायक है कि ट्रायल कोर्ट ने 18 अप्रैल 2022 के निर्णय द्वारा एसीबी को निर्देश दिये थे कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका की जांच की जाए. अशोक गहलोत के संरक्षण में धारीवाल द्वारा राजस्थान में कई घोटाले किए हैं. राज्य की सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाने का काम पिछले पांच वर्ष के शासन में कांग्रस सरकार ने किया है, जिनमें कोटा में चंबल रिवर फ्रंट घोटाला, जयपुर में बीजी होटल जमीन घोटाला, जयपुर की फेयर माउंट होटल, उदयपुर का ताज अरावली एवं रफाल होटल घोटाला, जयपुर में कैपस्टन मीटर जमीन घोटाला जैसे सैंकड़ों घोटाले सम्मिलित हैं. यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत की सरपरस्ती में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने Non BSR के कार्य कराकर हजारों करोड़ का घोटाला किया गया. कोटा में तो समार्ट सिटी के निर्माण के दरम्यान अशोक गहलोत, शांति धारीवाल, Architect अनुप भरतरिया की बेसकीमती मूर्तियों को कोटा के महत्वपुर्ण चौराहों पर स्थापित करने की मनमानी पूर्ण कर्यवाही की गई. अतः विनम्र निवेदन है कि एकल पट्टा घोटाले में राजस्थान सरकार की ओर से 22-23 अप्रैल 2024 को सर्वोच्च न्यायालय में गलत जवाब पेश कर अपराधियों को बचाने वाले लोगों के विरूद्ध आपराधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई करवाने की कृपा करें.'

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