आर्यन के बाद अब चेतना को रेस्क्यू करने में NDRF-SDRF हो रहे असफल, उठ रहे यह 5 सवाल

राजस्थान में एक बार फिर NDRF और SDRF की टीम बोरवेल से बच्चे को रेस्क्यू करने में असफल हो रही है. हाल ही में टीम आर्यन को भी रेस्क्यू करने में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाई थी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Chetna Borewell Rescue: राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे कोटपूतली में साढ़े तीन साल की चेतना 23 दिसंबर को बोरवेल में गिरी थी. लेकिन चौथे दिन भी चेतना का रेस्क्यू नहीं हो पाया है. NDRF-SDRF से लेकर लोकल प्रशासन, उत्तराखंड से मंगाए गए रेटमाइनर्स सभी चेतना को निकालने में लगे हैं. इसके बावजूद 72 घंटे से अधिक समय हो गया है लेकिन चेतना को बोरवेल से बाहर नहीं निकाला जा सका है. चेतना की अब बोरवेल में किसी तरह की एक्टिविटी नहीं दिख रही है. ऐसे में NDRF और SDRF के रेस्क्यू के तरीके पर सवाल खड़ा हो रहा है. 

बताया जाता है कि रेस्क्यू करने वाली वही टीम है जिसने दौसा के आर्यन का रेस्क्यू किया था. हालांकि, आर्यन को भी रेस्क्यू करने में 57 घंटे का समय लगा था और आर्यन को जिंदा नहीं बचाया जा सका था. अब चेतना को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे कि क्या 72 घंटे के बाद भी उसे सही सलामत रेस्क्यू किया जाएगा.

Advertisement
NDRF और SDRF संयुक्त रूप से चेतना को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. इसमें प्लान ए और प्लान बी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसमें देसी जुगाड़ और मशीनों की मदद से रेस्क्यू का काम किया गया. लेकिन कोई भी प्लान सफल नहीं साबित हो रहा है. ऐसे में रेस्क्यू पर सवाल उठ रहे हैं.

रेस्क्यू पर उठने वाला पांच सवाल

1. क्या आर्यन रेस्क्यू से सबक लेकर SDRF टीम ने नहीं शुरू किया बचाव का काम.

2. क्या रेस्क्यू टीम ने प्लान को तय करने में सही समय का चुनाव नहीं किया.

3. क्या शुरू से ही प्लान ए और प्लान बी को साथ-साथ शुरू करना चाहिए.

4. रेस्क्यू टीम देसी जुगाड़ पर ज्यादा निर्भर क्यों रहती है.

5. इस तरह के रेस्क्यू से क्या SDRF-NDRF पर लोगों को भरोसा होगा.

रेस्क्यू को लेकर यह वह सवाल है जो SDRF और NDRF की टीम से की जा रही है. क्योंकि पहले ही दिन जब रेस्क्यू टीम ने काम शुरू किया तो उन्होंने मीडिया के सामने दावा किया था कि वह रात तक बच्ची को बोरवेल से बाहर निकाल लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने तकनीकी खामियों को भी नजरअंदाज किया और पर्याप्त साधन नहीं जुटा पाए. प्लान बी के तहत खुदाई और पाइलिंग के काम को लेकर निर्णय लेने में देरी की और बच्ची चेतना की एक्टिविटी भी अब नहीं देखने को मिल रही है. 

Advertisement

सवाल यह भी सबसे बड़ा है कि हाल ही में दौसा में हुए आर्यन के रेस्क्यू से शायद टीम ने बड़ा सबक नहीं लिया. इस घटना में आर्यन को जीवित रेस्क्यू नहीं किया जा सका. इसके बाद भी चेतना के मामले में सही निर्णय लेने में रेस्क्यू टीम असफल रही.

Advertisement

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में बोरवेल खुला छोड़ा तो पुलिस करेगी करवाई, लगातार हो रहे हादसों के बाद बढ़ी सख्ती

यह भी पढ़ेंः राजस्थान सरकार और पुलिस को मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस, आर्यन की हुई मौत पर पूछा यह सवाल