Rajasthan: यूपी के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा टोल वसूली, हनुमान बेनीवाल बोले- 'SC की टिप्पणी का सरकार पर असर नहीं'

Parliament Budget Session 2025: आरएलपी सुप्रीमो ने लोकसभा में अत्यधिक टोल वसूली से जुड़े 4 सवाल पूछे थे, जिसके जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 20 मार्च को यह जवाब जारी किया है.

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राजस्थान में अप्रत्यक्ष रूप से वसूले जा रहे टोल पर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सवाल उठाए हैं. (फाइल फोटो)

Rajasthan News: राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट से आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) की तरफ से सदन (Lok Sabha) में मिले एक जवाब की तस्वीर साझा की है. इसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा टोल वसूली राजस्थान में हुई है. आरएलपी सुप्रीमो ने लोकसभा में अत्यधिक टोल वसूली से जुड़ा सवाल पूछा था, जिसके जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 20 मार्च को यह जवाब जारी किया है.

'सड़क निर्माण में खर्च से ज्यादा टोल वसूली'

सांसद हनुमान बेनीवाल ने यह पूछा था कि क्या दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे-8 पर वसूला गया टोल टैक्स निर्माण लागत की तुलना में काफी अधिक है? इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि जयपुर से कोटपुतली होते हुए गुड़गांव तक सड़क निर्माण के लिए 6430 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और टोल के रूप में 9218.30 करोड़ रुपये वसूल किए गए हैं. इसी तरह गुड़गांव से दिल्ली तक सड़क निर्माण में 2489.45 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और टोल के रूप में 2727.50 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.

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'सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का सरकार पर असर नहीं'

हनुमान बेनीवाल ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या सरकार को पता है कि राजस्थान में टोल टैक्स वसूली के बावजूद कई नेशनल हाईवे की हालत खराब है? ऐसी सड़कों पर टोल टैक्स वसूली का औचित्य क्या है? लेकिन मंत्रालय ने इसके जवाब में सिर्फ यह बताया कि हाईवे का रखरखाव कैसे किया जाता है.

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इसीलिए नागौर सासंद ने एक्स पर लिखा, 'जब माननीय सुप्रीम कोर्ट यह कह चुका है कि सड़कें खराब हैं तो सफर करने वाले टोल क्यों दे? और आम आदमी इसका खामियाजा क्यों भुगते? लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का असर सरकार पर नहीं हो रहा है, क्योंकि खस्ताहाल हाईवे के बावजूद जनता से टोल वसूला जा रहा है. अप्रत्यक्ष रूप से वसूले जा रहे टोल पर सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है.'

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