Rajasthan News: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में जानलेवा स्तर पर पहुंचे वायु प्रदूषण (Air Pollution) को नियंत्रित करने के लिए राजस्थान पर भी सख्ती बरती गई है. सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि दिल्ली-NCR की हवा सुधारने के लिए प्रदूषण फैलाने वाली 1,500 से अधिक औद्योगिक इकाइयों को बंद किया गया है, जिसमें अकेले राजस्थान की 121 यूनिट शामिल हैं. दिल्ली-एनसीआर के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए इन कदमों की जानकारी दी है.
यूपी में सबसे ज्यादा फैक्ट्रियां बंद
CAQM ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हवा की गुणवत्ता को गंभीर होने से रोकने के लिए कुल 1,556 प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद किया गया है. इन इकाइयों में राजस्थान का आंकड़ा भी चिंता पैदा करता है. राजस्थान में 121 औद्योगिक इकाइयां बंद की गई हैं, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 637 इकाइयां, दिल्ली में 264 इकाइयां और हरियाणा में 234 फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. यह साफ है कि दिल्ली-NCR में प्रदूषण नियंत्रण के लिए राजस्थान को भी अपनी औद्योगिक गतिविधियों पर लगाम लगानी पड़ी है.
पराली बनी 'सीरियस चिंता', पंजाब-हरियाणा जिम्मेदार
आयोग ने कोर्ट में साफ कहा कि पराली जलाना (Stubble Burning) अब भी एक 'गंभीर चिंता' का विषय बना हुआ है, जो NCR में हवा की स्थिति को बदतर बना रहा है. इसे 'मौसमी घटना' बताते हुए, CAQM ने पराली जलाने के आंकड़े भी कोर्ट को दिए. पंजाब में 15 सितंबर से 10 नवंबर तक 4,195 घटनाएं सामने आईं, जबकि हरियाणा में इसी अवधि में 363 घटनाएं हुईं. आयोग ने यह भी बताया कि वे सैटेलाइट के जरिए पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी नजर रख रहे हैं और राज्य सरकारों के साथ दैनिक आधार पर संपर्क में हैं ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके.
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
यह पूरा मामला तब गरमाया जब मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने CAQM को प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा देने का निर्देश दिया. आयोग ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण से निपटने के लिए GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के चरण I और II को लागू किया गया है. अब सबकी निगाहें 17 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे के कड़े निर्देश जारी कर सकता है. राजस्थान की इंडस्ट्रियल यूनिट्स और सरकार भी इस सुनवाई पर बारीकी से नजर रखेगी, क्योंकि प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने पर और सख्त पाबंदियां लग सकती हैं.
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