Bharatpur News: राजस्थान की कला, संस्कृति और रीति-रिवाजों का प्रभाव देश के अलग-अलग हिस्सों में फैला हुआ है, जिसके कारण यहां के अनोखे रीति-रिवाज हमेशा कौतुहल का विषय बने रहते हैं. राज्य के भरतपुर जिले में सावन की शुरुआत से पहले आषाढ़ महीने में लगने वाला कुआं वाले बाबा का मेला अपने आप में अनूठा है. इसकी अनूठी परंपरा के कारण लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. लेकिन यहां आने से पहले उन्हें एक परंपरा का पालन करना पड़ता है, जो अपने आप में अनूठी मानी जाती है.
सिर पर मुर्गा घुमाने की है अनोखी परंपरा
भरतपुर जिले में आषाढ़ माह में हर सोमवार को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास बहुउद्देशीय चौराहे पर 'कुआं वाले बाबा' का मेला लगता है. इस मेले में बच्चों के सिर पर मुर्गा घुमाने की अनोखी परंपरा है. इस मेले में महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आती हैं और उनके सिर पर मुर्गा घुमाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को बुरी नजर से बचाया जा सकता है. कुछ लोग इसे अपनी आस्था का हिस्सा मानते हैं तो कुछ इसे अंधविश्वास!
आषाढ़ महीने में लगता है मेला
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सदियों से चली आ रही है परंपरा
मेले में मुर्गा घुमाने वाले व्यक्ति से जब इस बारे में बात की गई तो उसने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. जब उससे अंधविश्वास के बारे में पूछा गया तो उसने इससे इनकार करते हुए कहा कि मेले में पूजा के बाद नवजात बच्चों का सिर मुंडवाया जाता है. फिर उनके सिर पर मुर्गा झुलाकर उन्हें आशीर्वाद दिया जाता है.
हजारों की संख्या में आती है महिलाएं
इस मेले में एक-दो नहीं बल्कि हजारों महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आती हैं। उन्हें बुरी नजर और भूत-प्रेत से बचाने के लिए उनके सिर पर मुर्गा घुमाकर आशीर्वाद लेती हैं। मुर्गा आशीर्वाद देने के बदले पैसे लेता है. वही दूसरी तरफइसी मेले में बच्चे का मुंडन कराने आई एक औरत ने बताया कि ये परंपरा बहुत पुरानी है. इसमें नवजात बच्चों का मुंडन कराया जाता है. जिसमें बच्चों के सिर पर मुर्गा घुमाकर आशीर्वाद दिलाते हैं, उनका मानना है कि यह बच्चों को बुरे साये से दूर रखता है. इसलिए मैं भी अपने नाती का मुंडन कराने आई हूं.