EXCLUSIVE: 'अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह थी, है और रहेगी', हिंदू मंदिर के दावे पर बोले अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती

Ajmer Dargah Row: यूपी के संभल स्थित शाही मस्जिद के बाद अब अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लेकर माहौल गरमा गया है. बुधवार को अजमेर की अदालत ने अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने के दावे को स्वीकार किया. इस पर अब मुस्लिम पक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है.

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Ajmer Dargah Row: अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने के दावे पर मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?

Ajmer Dargah Hindu Temple Row: राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के हिंदू मंदिर होने के दावे को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख मुकर्रर की है. बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. जिसमें हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा पेश किया. विष्णु गुप्ता के दिए सबूतों को आधार मानते हुए कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई योग्य माना और सभी पक्षकारों को नोटिस करते हुए 20 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है. 

अजमेर शरीफ के हिंदू मंदिर होने के दावे को कोर्ट द्वारा स्वीकार करने के मामले में अब दरगाह कमेटी के अधिवक्ता अशोक कुमार माथुर और ख्वाजा गरीब नवाज के खादिमों की चुनी हुई बॉडी अंजुमन कमेटी के सचिव (Anjuman Committee Secretary Sarwar Chishti) सरवर चिश्ती की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.

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मामले में अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने दो-टूक कहा कि अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज (Khwaja Garib Nawaz) की दरगाह थी, है और रहेगी. 

हिंदू सेना का दावा- अजमेर दरगाह संकटमोचन महादेव मंदिर

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (Vishnu Gupta) ने संकटमोचन महादेव मंदिर बताया है. इस दावे के साथ उन्होंने दरगाह परिसर में हिंदूओं को पूजा-अर्चना करने का अवसर देने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने स्वीकार किया. 

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दरगाह कमेटी के वकील ने कहा- दावा बेबुनियाद

कोर्ट द्वारा नोटिस जारी होने के बाद दरगाह कमेटी के वकील अशोक कुमार माथुर ने कहा, "1000 साल से पुरानी दरगाह के अस्तित्व को अगर कोई चुनौती देता है तो यह उपासना अधिनियम 1991 और दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट को संवैधानिक चुनौती देने वाली याचिका में पारित सर्वोच्च न्यायालय के 1961 के निर्णय के खिलाफ है. तथ्यों और निर्धारित सिद्धांतों को देखते हुए यह दावा असत्य, बेबुनियाद है.

याचिका को खारिज कराने की होगी कोशिशः वकील

दरगाह कमेटी के वकील ने आगे कहा कि दावे में वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए गलत रूप दिया गया है. दरगाह कमेटी मामले में कठोर पैरवी करते हुए प्रारंभिक स्तर पर याचिका को खारिज करवाने का प्रयास करेगी. न्यायालय द्वारा मुकदमा दर्ज किए जाने का अर्थ किसी भी पक्षकारों में अधिकारों को दर्शित नहीं करता है.  यह मुकदमा केवल सामान्य प्रक्रिया में क्षेत्र अधिकार, कोर्ट फीस को देखते हुए दर्ज किया गया है.

अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने क्या कुछ कहा

वहीं दूसरी ओर मामले में ख्वाजा गरीब नवाज के अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा, "आज अजमेर कोर्ट ने हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका स्वीकार कर ली है जिसमें दावा किया गया है कि जिस जगह दरगाह है वहां एक मंदिर है. हम तो ये मान कर ही चल रहे थे क्योंकि संभल में जो हुआ उसके बाद हम ये मान कर चल रहे थे जहां डेढ़ बजे याचिका दायर की गई और साढ़े तीन बजे कमिश्नर नियुक्त हो गया और शाम को डीएम और एसपी पूरे अमले को लेकर सर्वे करने भी चला गया. फिर संभल में रिपोर्ट आने और तीन दिन बाद जो हुआ वो आपके सामने है." 

सरवर चिश्ती ने आगे कहा कभी मथुरा, कभी काशी, तो कभी बाबरी मस्जिद. बाबरी पर फैसला आने के बाद हमने देश हित में मान लिया था कि अब कुछ नहीं होगा, लेकिन ये थमने का नाम नहीं ले रहा है. 

पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ पर क्यों बिफरे सरवर चिश्ती

चिश्ती ने कहा, "22 जून को मोहन भागवत जी ने कहा था कि हर मस्जिद में आप शिवलिंग की तलाश ना करो. ये कसूर पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ का है, क्योंकि जब 1991 में उपासना स्थल का कानून बन गया था कि बाबरी मस्जिद को छोड़ 1947 में धार्मिक स्थलों की जो भी स्थिति थी उसे बनाए रखना है, तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है?"

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह थी, है, और रहेगीः सरवर चिश्ती

चिश्ती ने आगे कहा कि हमने बड़े-बड़े दौर देखे हैं और कुछ नहीं हुआ. 11 अक्टूबर 2007 को यहां बम ब्लास्ट हुआ जिसमें तीन लोग मारे गए. इससे दिल नहीं भरा तो पिछले तीन साल से बयानबाज़ी चल रही है. हर जगह इन्हें शिवलिंग और मंदिर नज़र आता है. लेकिन यह देश हित में नहीं है.हम देख रहे हैं कि क्या करना है. इनकी मुरादें कभी पूरी नहीं होगी. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह थी, है, और रहेगी.

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