Rajasthan News: राजस्थान में अजमेर जिले के किशनगढ़ थाने में इन दिनों हालात पेचीदा हैं. यहां के थाना प्रभारी सीआई भीखाराम काला को 25 दिन पहले अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया. उसके बाद से नया सीआई नियुक्त नहीं हुआ. नतीजा यह कि पूरा थाना एक एएसआई के कंधों पर चल रहा है. शहर की हलचल भरी जिंदगी में यह कमी कानून व्यवस्था को कमजोर कर रही है.
व्यस्त शहर में थाने पर बोझ
किशनगढ़ एक तेजी से बढ़ता शहर है. यहां रोजाना ट्रैफिक की भारी भीड़ लगती है. चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं. नशे की लत और छोटे-मोटे झगड़े भी सिर उठा रहे हैं. इतने बड़े इलाके में एसआई स्तर का कोई अधिकारी नहीं है. पुलिसकर्मी सीमित लोगों और संसाधनों के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं. बिना मजबूत नेतृत्व के छोटी सी बात भी बड़ा रूप ले सकती है. स्थानीय लोग कहते हैं कि बिना थाना प्रभारी के शिकायतें दब जाती हैं.
जनसंख्या व उद्योगों का दबाव
शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है. चारों तरफ फैक्टरियां और बाजार हैं. दूसरे राज्यों से मजदूर रोज आते-जाते रहते हैं. ऐसे में सुरक्षा का दारोमदार एक एएसआई पर डालना जोखिम भरा है. निवासी परेशान हैं. एक दुकानदार ने बताया कि रात को चोरी का डर रहता है. कोई बड़ा अधिकारी न होने से कार्रवाई में देरी होती है. महिलाएं कह रही हैं कि झगड़ों में पुलिस की मदद नहीं मिल पाती. सब पूछ रहे हैं कि बढ़ते अपराधों के बीच जिम्मेदारी कौन लेगा.
फाइल अटकी, आदेश कब
पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि नई नियुक्ति की फाइल जिला स्तर पर विचाराधीन है. जल्द ही आदेश आ जाएंगे. लेकिन तब तक थाना एएसआई की अगुवाई में ही चलेगा. जानकार चेतावनी दे रहे हैं. किशनगढ़ जैसे संवेदनशील इलाके में इतना लंबा अंतराल खतरनाक साबित हो सकता है. बाहरी लोग बढ़ने से विवादों का अंदेशा है. ट्रैफिक जाम से दुर्घटनाएं हो रही हैं. नशाखोरी के कारोबार पर नजर ढीली पड़ गई है.
लोगों में साफ दिख रही नाराजगी
लोगों में नाराजगी साफ दिख रही है. वे कहते हैं कि शहर का विकास हो रहा है तो सुरक्षा व्यवस्था क्यों पिछड़ रही. अपराध ट्रैफिक और झगड़ों का ग्राफ ऊपर चढ़ा है. 25 दिनों से खाली कुर्सी पर आखिर जिम्मेदारी किसकी ठहरेगी.
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