पत्नी से केस हारने के बाद पिता को गर्म तेल से जलाकर मारने वाले बेटे को कोर्ट ने क्या दी सजा? अजमेर का है मामला

राजस्थान में एक बेटे ने अपने पिता पर गर्म तेल फेंककर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. SC-ST कोर्ट ने इस क्रूर हत्या के आरोपी को कड़ी सजा सुनाई. लोक अभियोजक मंजूर अली ने कोर्ट में 20 गवाहों और 23 दस्तावेजों के माध्यम से इस मामले की पैरवी की.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan News: पिता-पुत्र का रिश्ता अपने आप में बेहद खास होता है लेकिन आजकल इस रिश्ते को भी शर्मसार कर दिया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के अजमेर कोर्ट से सामने आया, जहां एक युवक ने अपने ही पिता को गर्म तेल से झुलसाकर मौत के घाट उतार दिया था. ऐसा गंभीर कृत्य करने वाले कलयुगी बेटे को SC-ST कोर्ट की मजिस्ट्रेट डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव ने आजीवन कारावास की सजा और 50 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया है. वहीं हत्यारे बेटे के खिलाफ विशिष्ट लोक अभियोजक मंजूर अली ने आरोपी के खिलाफ 20 गवाह और 23 दस्तावेज माननीय न्यायाधीश के सामने पेश किए हैं. 

पति-पत्नी के झगड़े के विवाद से नाराज था बेटा

विशिष्ट लोक अभियोजक मंजूर अली ने बताया कि बेटे जसवंत के पिता राम सिंह अजमेर कोर्ट में सीनियर रीडर के पद पर थे. इसी दौरान बेटे जसवंत का विवाह रेल कर्मचारी प्रेमवती के साथ हुआ था. जसवंत और प्रेमवती के 3 महीने तक ही एक साथ रहें. उसके बाद जसवंत नाम प्रेमवती के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस अजमेर की फैमिली कोर्ट में चल रहा था. इस केस में बेटा जसवंत उसकी पत्नी प्रेमवती से केश हार गया. इस बात से नाराज जसवंत ने अपने पिता राम सिंह से रंजिश रखने लगा था. 

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पिता पर फेंका तेल, इकट्ठा हुए पड़ोसी 

पिता से रंजीत रखते हुए कलयुगी बेटे जसवंत ने 29 अगस्त की रात 9:30 बजे हीटर पर तेल को गर्म किया और अपने पिता राम सिंह पर गरम तेल को फेक दिया. इस वारदात में पिता राम सिंह गंभीर रूप से झुलस गया .इसी बीच चिक बुखार के बाद राम सिंह की पत्नी और पड़ोसी इकट्ठा हो गए. सभी ने झुलसी हालत में राम सिंह को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया. जहां अलवर गेट थाना पुलिस ने राम सिंह के बयान लिए थे जिसमें राम सिंह ने अपने बेटे जसवंत पर गर्म तेल से झुलसने की बात कही थी. वहीं 2 दिन बाद राम सिंह की मौत हो गई. पुलिस ने जसवंत को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया. 

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हैवानियत करने वाले बेटे को बख्सा नहीं जा सकता- कोर्ट

SC-ST कोर्ट की मजिस्ट्रेट में इस विषय पर गंभीर टिप्पणी की. SC-ST कोर्ट की माननीय न्यायाधीश डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव ने पिता की निर्मम हत्या करने के आरोप में बेटे जसवंत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि जन्मदाता के साथ इस तरीके की हैवानियत करने वाले बेटे को बख्सा नहीं जा सकता. उसे आजीवन  कारावास की सजा सुनाई जाती है.

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