Waqf: अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन ने किया समर्थन, अंजुमन समिति का विरोध - वक्फ बिल पर खादिमों में मतभेद

केंद्र सरकार के वक्फ़ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2024) को लेकर अजमेर दरगाह के खादिमों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है.

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अजमेर दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन समिति ने निंदा प्रस्ताव पारित किया

Ajmer: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर राजस्थान में अजमेर दरगाह के खादिमों की समिति में दरार पैदा हो गई है. केंद्र सरकार ने बुधवार (3 अप्रैल) को लोकसभा में ये बिल पेश कर दिया है. इसके अगले दिन यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अजमेर दरगाह के गद्दीनशीन सलमान चिश्ती और दरगाह दीवान के बेटे तथा ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने बिल का समर्थन किया है. लेकिन, खादिमों की मुख्य संस्था अजमेर शरीफ अंजुमन (ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन) ने इसपर सख्त एतराज जताया है.

संस्था ने एक निंदा प्रस्ताव पारित कर अपने कुछ सदस्यों की वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने के लिए निंदा की है. साथ ही, यह आरोप लगाया है कि वो बीजेपी और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों के साथ मिल गए हैं "जो मुसलमानों के हितों के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं".

गद्दीनशीन सलमान चिश्ती का लेख

अजमेर दरगाह में खादिमों के बीच मतभेद की मुख्य वजह खादिम सलमान चिश्ती का एक लेख है. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में 31 मार्च को प्रकाशित इस लेख का शीर्षक है -  "वक्फ़ में सुधार का वक़्त आ गया है". उनके इस लेख को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से शेयर किया. उन्होंने लिखा - "सुधार को अपना कर और जवाबदेही सुनिश्चित कर ही हम ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि वक्फ़ मुस्लिम समुदाय को फायदा पहुंचाने और व्यापक समाज के लिए योगदान करने के अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर सकता है. हाजी सैयद सलमान चिश्ती, गद्दीनशीन, दरगाह अजमेर शरीफ़, चेयरमैन, चिश्ती फ़ाउंडेशन का यह गहरा लेख पढ़िए." 

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इसके अलावा अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक गुरु के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी वक्फ़ संशोधन बिल का समर्थन किया.

खादिमों की संस्था ने विधेयक की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. खादिम होने के नाते सलमान चिश्ती उस प्रस्ताव के खिलाफ नहीं जा सकते. उन्होंने खादिमों के नाम का दुरुपयोग किया है.” - सरवर चिश्ती

खादिमों की संस्था ने कहा - 'सलमान दरगाह प्रमुख नहीं हैं'

सलमान चिश्ती और नसीरुद्दीन चिश्ती के वक्फ़ बिल का समर्थन करने के बाद अजमेर दरगाह के खादिमों (सेवक) का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘अंजुमन सैयद जादगान' ने वक्फ (संशोधन)विधेयक का समर्थन करने वाले सदस्यों को मुसलमानों के हितों के खिलाफ काम करने वाले ‘नॉन स्टेट एक्टर्स' करार दिया.

अंजुमन संस्था के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि सलमान चिश्ती दरगाह में सेवा करने वाले 5,000 खादिमों में से एक हैं. सरवर ने कहा, “खादिमों की संस्था ने विधेयक की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. खादिम होने के नाते सलमान चिश्ती उस प्रस्ताव के खिलाफ नहीं जा सकते. उन्होंने खादिमों के नाम का दुरुपयोग किया है.”

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उन्होंने कहा,“वह (सलमान चिश्ती) मीडिया से बातचीत में खुद को ‘दरगाह प्रमुख' के रूप में पेश कर रहे हैं. वह दरगाह के प्रमुख नहीं, बल्कि खादिम हैं. मुझे उनके व्यक्तिगत रूप से विधेयक का समर्थन करने से कोई समस्या नहीं है लेकिन वह खुद को दरगाह प्रमुख के रूप में पेश करते हुए हमारे द्वारा पारित प्रस्ताव के खिलाफ कोई रुख नहीं अपना सकते.”

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