
Rajasthan News: केंद्र सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश कर दिया है. इससे ठीक पहले ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बयान सामने आया है. उनका कहना है, 'लोग लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे. लोगों को उम्मीद है कि एक अच्छा विधेयक आएगा. लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सभी को है, लेकिन मुझे पता चला है कि विपक्ष की मुख्य आपत्तियों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इसलिए यह एक बहुत अच्छा विधेयक होगा. अब वक्फ का पैसा आम और गरीब मुसलमानों तक पहुंचेगा.'
विधेयक पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय
वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है. वक्फ अधिनियम, 1995 में पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है. इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे. बिल पर बहस के लिए सत्ताधारी गठबंधन को 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है. लोकसभा में बहस के लिए भाजपा, कांग्रेस, जदयू, टीडीपी समेत पार्टियों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है.
#WATCH | Ajmer, Rajasthan: The Waqf Amendment Bill 2024 will be introduced in the Lok Sabha today
— ANI (@ANI) April 2, 2025
Ajmer, Rajasthan: Syed Naseruddin Chishty, Chairman, All India Sufi Sajjadanashin Council, says, "People have been waiting for this for a long time. People are hopeful that a good… pic.twitter.com/L7lQTmSI3D
सरकार बिल पर चर्चा चाहती है- रिजिजू
मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दोहराया कि सरकार बिल पर चर्चा चाहती है और इस पर सभी राजनीतिक दलों को बोलने का अधिकार है. देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता तो ऐसा रोकने से उन्हें कोई रोक भी नहीं सकता.
'अधिनियम में सुधार की आवश्यकता है'
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे. इसमें आगे कहा गया है, 'संशोधनों के बावजूद, यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है.'
इसमें कहा गया है कि 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था. विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है.
एक्ट में करीब 40 बदलाव करना मकसद
बता दें, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है. एक अहम बदलाव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश हो सकता है. इसका मकसद महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदाय की सहभागिता को बढ़ाना है. साथ ही नए बिल में बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है. विधेयक पर चर्चा और उसके बाद उसे मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा निचले सदन में एनडीए की संख्यात्मक श्रेष्ठता का दावा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है.
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