BT बीज के नाम पर मिलावटी बीज देकर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए किसानों ने आज कलेक्ट्रट के बाहर धरना दिया. विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने नरमा की फसल में गुलाबी सुंडी से हुए नुकसान का सर्वे करवा कर सरकार से मुआवजा देने की मांग की है. इस दौरान आयोजित सभा में कृषि विभाग के अधिकारियों के लापरवाह रवैये को लेकर भी किसानों ने नाराजगी जताई.
आक्रोशित किसानों ने मांग की है कि मामले की जांच के लिए कृषि वैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की जाए और पूरे मामले की जांच की जाए ताकि किसानों से हुए इस बड़े धोखे के मुख्य आरोपियों तक पहुंचा जा सके.
बीटी-2 के नरमा का बीज किसानों को उपलब्ध करवाए जाएं
आयोजित सभा को संबोधित करते हुए किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार ने बीटी-2 के नाम से नरमा का बीज किसानों को उपलब्ध करवाया था, लेकिन बीज मिलावटी होने के कारण आज करीब 99 फीसदी किसानों की नरमा की फसल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से बर्बाद हो चुकी है.
कृषि अधिकारी AC कमरों में बैठ कर निर्णय लेते है
किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग ने भी समय रहते किसानों को सचेत करने की कोशिश नहीं की ताकि गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सके. कृषि विभाग के अधिकारी AC कमरों में बैठे रहे और किसानों से कोई लेना-देना ही नहीं रहा. उन्होंने कहा कि हनुमानगढ़ जिले में करीब 20 अरब रुपए के नरमा का उत्पादन होता था, लेकिन इस बार उत्पादन में बड़ी गिरावट की आशंका लग रही है, जिससे किसानों को सीधा नुकसान हुआ है.
पेस्टीसाइड कंपनियों की बल्ले-बल्ले
उन्होंने बताया कि किसानों ने इसलिए बीटी बीज की बिजाई की ताकि सुंडी का प्रकोप खत्म करने के लिए पेस्टीसाइड का छिड़काव न करना पड़े. लेकिन अब किसान को हर चार दिन बाद पेस्टीसाइड का छिड़काव करना पड़ रहा है. इससे पेस्टीसाइड कंपनियों की तो बल्ले-बल्ले हो गई है. जबकि किसान बर्बाद हो गया है.
एक सप्ताह पहले कलेक्टर को दी थी जानकारी
करीब एक सप्ताह पहले इलाके के किसान प्रतिनिधि जिला कलेक्टर से मिले थे. उन्होंने एक सप्ताह के अंदर समस्या का समाधान करने के लिए आश्वस्त किया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने से किसानों में रोष है. मजबूर होकर किसानों को धरने पर बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक अन्नदाता की बात सुनकर सरकार की ओर से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता और दोषी कृषि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाती, किसान को सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने को मजबूर होना पड़ेगा.
पेस्टीसाइड और बीज कंपनियों की मिली भगत है
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि कृषि वैज्ञानिकों की उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच करवाई जाए. उन्होंने सवाल किया कि आखिर किस आधार पर बीटी बीज में नॉन बीटी बीज मिलाने की इजाजत दी गई. उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी गठित होते ही सारा मामला सामने आ जाएगा कि पेस्टीसाइड और बीज कंपनियों ने मिलकर ही किसान की बर्बादी की है.