अलवर के सरिस्का को जल्द मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया क्या है प्लान?

MP Bhupendra Yadav: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को अलवर (Alwar) के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने सरिस्का को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए नए प्रयासों को कररने की बात कही.

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MP Bhupendra Yadav: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को अलवर (Alwar) के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने सरिस्का को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरिस्का ( Sariska) को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए नए प्रयास किए जाएंगे. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रयास करेंगी. क्योंकि अलवर से विधायक राजस्थान सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री भी हैं. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के 'एक पेड़ मां के नाम'अभियान की भी बात की. उन्होंने आगे कहा कि पीएम ने एक अभियान शुरू किया है. उस अभियान के तहत अपनी मां के नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं. और 5 साल तक उसकी अच्छे से देखभाल करें. इससे आपकी मां की याद स्थाई रूप से आपके पास रहेगी.

NTA की गाइडलाइन से ही होगा सारा काम- केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव

सरिस्का अभ्यारण्य के आसपास अतिक्रमण और होटलों के निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि एनटीसीए (NTA) की गाइडलाइन के अनुसार ही सारा काम होगा. इको सेंसिटिव जोन का खाका तैयार किया जा रहा है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा. उन्होंने साफ कहा कि अतिक्रमण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह नेताओं का हो या अफसरों का. उन्होंने कहा कि पिछली बार जब वे केंद्रीय मंत्री थे तो उन्होंने सरिस्का को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार को कई पत्र लिखे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. वरना अब तक इको सेंसिटिव जोन का खाका तैयार होकर अंतिम रूप दे दिया जाता. सरिस्का से गांवों के विस्थापन के संबंध में उन्होंने कहा कि विस्थापन का कार्य नए तरीके से होगा और जो भी नया पैकेज होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. अलवर को एनसीआर में शामिल करने से आमजन को हो रहे नुकसान के संबंध में उन्होंने कहा कि अलवर का हर तरह से विकास किया जाएगा, जो अलवर के हित में होगा.

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पेयजल संकट को अधिकारियों की बैठक

इसके अलावा उन्होंने पेयजल संकट पर अधिकारियों के साथ बैठक की. जिसपर विस्तार से चर्चा की गई. इस बैठक में यह बात सामने आई कि जिले को 6 करोड़ 30 लाख लीटर पानी की जरूरत है, जबकि सिर्फ 3 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है. अलवर में 340 ट्यूबवेल हैं, जिनमें 140 टंकियों के जरिए पानी की आपूर्ति होती है जबकि 200 डायरेक्ट ट्यूबवेल हैं, जहां से पानी की आपूर्ति हो रही है. अलवर में 59 जोन हैं, जिनमें अलग-अलग स्तर पर पानी की आपूर्ति हो रही है. इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों से भूमिगत जल की स्थिति जानने की कोशिश की. जिसमें उन्होंने विचार किया और कहा कि स्थिति को सही करने के लिए यहां वाटर रिचार्ज और ट्यूबवेल बढ़ाने होंगे. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यहां पानी की समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए हैं.

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चार दिन में रिपोर्ट देने का अधिकारियों ने दिया आश्वासन

बात दें कि पानी को लेकर हुई इस बैठक में 40 समस्याएं सामने आई. जिसमें तीन प्रमुख रूप से हैं . जैसे तत्कालीन पानी की आपूर्ति किस तरीके से की जाए. दूसरा स्टोरेज से लेकर वितरण तक पानी का समाधान किस तरीके से किया जाए और तीसरा व्यापक अलवर को देखते हुए आगामी रिपोर्ट किस तरीके से तैयार की जाए. इसके लिए सभी अधिकारियों ने बैठक में चार दिन में रिपोर्ट देने का आश्वासन देते हुए जल्दी ही इस पर काम शुरू करने की बात कही.  उन्होंने यह भी बताया कि अलवर में वह अब हर सप्ताह अधिकारियों की बैठक लेंगे.  साथ ही आमजन की जनसुनवाई भी करेंगे. उन्होंने कहा कि लखपति दीदी से लेकर उद्योग और खेलों के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया जाएगा.

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