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75 हथनियों पर सिर्फ 1 नर हाथी, आमेर हाथी गांव में प्रजनन रुका, क्यों मंडराया विलुप्त होने का संकट?

इन हाथियों के माध्यम से ही देशी-विदेशी पर्यटकों को आमेर महल में हाथी सवारी कराई जाती है. अगर सही समय पर प्रजनन नहीं होता है तो हथनियों के हिंसक होने का खतरा बढ़ जाता है. पढ़ें आमेर से रोहन शर्मा की रिपोर्ट.

75 हथनियों पर सिर्फ 1 नर हाथी, आमेर हाथी गांव में प्रजनन रुका, क्यों मंडराया विलुप्त होने का संकट?
आमेर हाथी गांव पर मंडराया संकट: 75 हथनियों के लिए सिर्फ 'बाबू' नर हाथी, प्रजनन रुका; लुप्त हो जाएगा हाथी पर्यटन?
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर स्थित हाथी गांव पर इन दिनों एक अजीब सा संकट मंडरा रहा है. यह देश का एकमात्र ऐसा गांव है जिसे खास तौर पर हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए 100 एकड़ की जमीन पर बसाया गया था. यहां पेड़-पौधे और तालाब सब कुछ है, लेकिन हाथियों का कुनबा बढ़ाने की सबसे जरूरी प्रक्रिया प्रजनन (Elephant Breeding) रुक गई है. वन विभाग के सामने यह सबसे बड़ी विडंबना बन गई है कि 75 मादा हाथनियों के लिए केवल एक ही नर हाथी 'बाबू' मौजूद है. हाथियों की संख्या में लगातार आ रही गिरावट न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए चिंताजनक है, बल्कि राजस्थान के महत्वपूर्ण हाथी पर्यटन (Elephant Tourism) को भी बड़ा झटका दे रही है.

'कम से कम 5 नर हाथी चाहिए'

वन्यजीव विशेषज्ञों और हाथी पालकों ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया है. उनकी चिंता का केंद्र हाथियों के घटते कुनबे और उसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं. हाथी गांव में करीब 75 हथनियां हैं, लेकिन इनके लिए नर हाथियों की संख्या न्यूनतम है. केवल एक नर हाथी 'बाबू' मौजूद है. हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि 75 मादा हाथनियों के लिए प्रजनन क्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए कम से कम 5 नर हाथी होने चाहिए. हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लु खान ने चेतावनी दी है कि प्राकृतिक प्रक्रिया जरूरी है. यदि हथनियों में प्रजनन नहीं होता है, तो हाथी धीरे-धीरे विलुप्त होते जाएंगे. उन्होंने कहा, 'मनुष्य हो या वन्यजीव, सबका जोड़ा बनाया गया है. मादा हाथनियों के लिए भी नर हाथियों को जल्द से जल्द लाना जरूरी है.'

हथनियों के हिसंक होने का डर

वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर के अनुसार, यदि हथनियों को साथी नहीं मिलता, तो उन पर मनोवैज्ञानिक (Psychological) प्रभाव पड़ता है. उनके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिलता है, वे हिंसक हो सकती हैं, जिसका परिणाम कई बार स्थानीय प्रशासन और महावतों को भुगतना पड़ता है.

घटती संख्या, पर्यटन को झटका

पिछले कुछ वर्षों से हाथी गांव में हाथियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जिसने पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को चिंता में डाल दिया है. एक समय इस गांव में करीब 120 हाथी रहते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर मात्र 75 रह गई है. कईयों की मौत हो गई तो कुछ हाथी गुजरात भी भेजे गए हैं. पिछले कुछ समय में तीन हथनियों की मौत हो चुकी है, जो न केवल हाथी गांव के लिए बुरा है, बल्कि हाथी सवारी से जुड़े राजस्थान के पर्यटन को भी झटका देने वाली खबर है.

'जयपुर में 25 सालों से नहीं हुआ प्रजनन'

हाथी पालक बताते हैं कि पुराने समय में जयपुर में हथनियों का प्रजनन होता था, लेकिन पिछले 20 से 25 सालों में जयपुर में कहीं पर भी हथनियों का प्रजनन नहीं हुआ है.

'वन विभाग सिर्फ मॉनिटरिंग करता है'

उप वन संरक्षक (वन्यजीव) चिड़ियाघर के विजयपाल सिंह ने बताया कि आमेर के हाथी गांव में सभी हाथी निजी मालिकों (Private) के हैं. वन विभाग की तरफ से इन पर केवल मॉनिटरिंग की जाती है.

'साल में दो बार हाथियों का चेकअप'

वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर सुनील जैन ने बताया कि वर्ष में दो बार हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. इस शिविर में हाथियों के ब्लड, यूरिन, लीद (गोबर) और फिकल के सैंपल लेकर टीबी, हार्टबीट, त्वचा संक्रमण और पेट समेत अन्य अंगों का शारीरिक परीक्षण किया जाता है. जांच के सैंपल आईवी आरआई लैब में भेजे जाते हैं. स्वास्थ्य परीक्षण के बाद हाथियों को मुफ्त दवाइयां भी दी जाती हैं.

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