अशोक गहलोत नहीं भूले बगावत का अध्याय, चुटकी लेते हुए कहा- 'डोटासरा उसी सियासी संकट की देन हैं'

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपनी सरकार गिराने की साजिश का ज़िक्र कर राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है.

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अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा

Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में के बार फिर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर अशोक गहलोत का बड़ा बयान दिया है. राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर पीसीसी मुख्यालय में आयोजित सर्वधर्म सभा के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपनी सरकार गिराने की साजिश का ज़िक्र कर राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है. गहलोत ने कहा कि तीसरे कार्यकाल में सरकार गिराने की साजिश किसने की सब को पता है.

गहलोत ने कहा कि उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला और तीनों बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. लेकिन तीसरे कार्यकाल के दौरान सरकार गिराने की जो कोशिश हुई थी, वह किसी से छिपी नहीं है.

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एमपी में सफल और राजस्थान में विफल रहे

गहलोत ने कहा देश में नंबर वन और नंबर टू ने मिलकर हमारी सरकार गिराने की कोशिश की थी. मध्य प्रदेश में वो सफल हो गए, लेकिन राजस्थान में वह विफल रहे. हमने सरकार बचा ली और कार्यकाल पूरा किया. यह कांग्रेस नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की एकता का नतीजा था.

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पायलट की सियासी बग़ावत के उस समय का ज़िक्र करते हुए गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा की नियुक्ति पर भी चुटकी ली और इशारों में कहा कि डोटासरा भी उसी सियासी संकट की देन है.

गहलोत ने कई महीनों बाद सियासी संकट के प्रकरण को सार्वजनिक मंच से फिर से उठाया है. उनके बयान को कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में नया दौर शुरू होने का संकेत माना जा रहा है. यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब कांग्रेस राजस्थान में संगठनात्मक पुनर्गठन के दौर से गुजर रही है.

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गहलोत के इस बयान से साफ है कि बगावत के उस अध्याय को वे अभी भूले नहीं हैं. अब देखना यह होगा कि इस बयान पर सचिन पायलट या उनके समर्थक नेता क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

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