Rajasthan Election 2023: 'ज्यूडिशियरी में करप्शन' वाला बयान देकर फंसे अशोक गहलोत, अब हाईकोर्ट से बोले- 'मैं बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार'

सीएम अशोक गहलोत खुद जोधपुर में एडवोकेट एसोसिएशन के सदस्य हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री अपने बयान पर माफी मांग लेते हैं तो यह बात यहीं खत्म हो जाएगी.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

Jodhpur News: ज्यूडिशियरी में 'करप्शन' वाला बयान देकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) फंस गए हैं. मंगलवार को उन्होंने जोधपुर हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा, 'कई पूर्व न्यायाधीश ज्यूडिशियरी में करप्शन की बात कह चुके हैं. मैंने अपने बयान में कहा था कि 'मैंने सुना है ज्यूडिशियरी में करप्शन है'. यह मेरे खुद के विचार नहीं हैं. मैं बिना शर्त माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं.' इस मामले में अब हाईकोर्ट की खंडपीठ 7 नवंबर को सुनवाई करेगी.

गहलोत ने क्या कहा था?

सीएम गहलोत ने करीब 1 महीने पहले संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि, 'आज न्यायपालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है. मैंने सुना है कि कुछ वकील खुद ही फैसला लिखकर लाते हैं, और वही फैसला सुनाया जाता है. न्यायपालिका में क्या हो रहा है? चाहे निचली हो या ऊपरी (अदालतें), चीजें गंभीर हैं और लोगों को इसके बारे में सोचना चाहिए.' इस बयान के बाद सीएम का काफी विरोध हुआ था. कई जगह पर वकीलों ने द्वारा धरना प्रदर्शन और हड़ताल की गई थी. सीएम गहलोत खुद जोधपुर में एडवोकेट एसोसिएशन के सदस्य हैं. ऐसे में एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा था कि अगर सीएम माफी मांग लेते हैं तो बात यहीं खत्म हो जाएगी. लेकिन उस वक्त सीएम यही कहते रहे कि ये विचार उनके नहीं हैं.

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ट्वीट करके दी थी सफाई

विरोध बढ़ने पर सीएम ने ट्वीट करते हुए भी कहा था कि, 'मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वह मेरी निजी राय नहीं है. मैंने सुना है कि कई वकील जो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं, अदालत से वही फैसला आता है. मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान और उस पर विश्वास किया है. सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड जजों और रिटायर्ड चीफ जस्टिसों ने समय-समय पर ज्यूडिशियरी में करप्शन पर टिप्पणी की हैं और उस पर चिंता व्यक्त की है. मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं. मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है. मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा.'

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