Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने हाल ही में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. गहलोत ने कहा था, 'अगर वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री होतीं तो मजा आता'. इस बयान पर अब बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. मंगलवार देर शाम जयपुर में पूनिया ने कहा, 'गहलोत इस तरह के बयान देकर अपनी राजनीतिक असुरक्षा जाहिर कर रहे हैं. वे केवल सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं.'
'गहलोत को सत्ता से बाहर रहना गवारा नहीं'
पूनिया ने गहलोत के बयान पर सीधे-सीधे हमला बोलते हुए कहा कि गहलोत को सत्ता से बाहर रहना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा, 'गहलोत हमेशा सत्ता में रहे हैं. मैंने उनको कभी सड़क पर लड़ते नहीं देखा. 29 साल की उम्र में इंदिरा गांधी की सरकार में वे उप-मंत्री बन गए थे.' पूनिया ने कहा कि सत्ता से दूर रहना उनके लिए एक तरह की असुरक्षा है, और यही कारण है कि वे इस तरह के बयान देते हैं.
'फ्री में विपक्ष का रोल सीखा सकता हूं'
गहलोत ने अपने बयान में कहा था कि वे चाहते हैं कि भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री के रूप में सफल हों, लेकिन साथ ही उन्होंने वसुंधरा राजे का जिक्र करके बीजेपी के भीतर चल रही गुटबाजी पर भी निशाना साधा. पूनिया ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत को केवल बयान देने में मजा आता है, संघर्ष करने की उनकी उम्र नहीं रही. उन्होंने कहा कि गहलोत के खाते में आज तक एक भी आंदोलन नहीं है और अगर उन्हें विपक्ष का रोल सीखना है तो वे उन्हें मुफ्त में कोचिंग दे सकते हैं.
कन्हैयालाल हत्याकांड पर भी गरमाई राजनीति
वसुंधरा राजे वाले बयान के अलावा, गहलोत ने कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर भी पीएम मोदी को घेरा था. गहलोत ने सवाल उठाया था कि तीन साल में एनआईए ने क्या किया? उन्होंने दावा किया कि अगर यह मामला उनकी सरकार के पास होता तो आरोपियों को छह से आठ महीने में ही उम्रकैद या फांसी की सजा हो गई होती. गहलोत ने कहा, 'हमारी सरकार ने तीन घंटे में आरोपियों को पकड़ लिया था. लेकिन बीजेपी ने इस केस को एनआईए को सौंप दिया, और अब तीन साल बाद भी फैसला दूर है.'
'गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं गहलोत'
इसके जवाब में सतीश पूनिया ने कहा कि गहलोत गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं. पूनिया ने कहा कि गहलोत का बयान उनकी सरकार में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को दिखाता है. उन्होंने कहा, 'गहलोत जिस मुद्दे को उठा रहे हैं उसमें कोई दम नहीं है.'
'सरकार गिराने की कोशिश प्रैक्टिकल थी'
कन्हैयालाल मामले के अलावा, गहलोत ने 2020 में अपनी सरकार गिराने की कोशिश का मुद्दा भी फिर से हवा में उछाला. उन्होंने कहा कि वह पूरा कांड प्रैक्टिकल था. गहलोत ने कहा कि अब फाइनल रिपोर्ट (एफआर) देकर इसे थ्योरेटिकल बना दिया गया है, लेकिन एफआर का मतलब यह नहीं होता कि केस खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि एक क्रिमिनल केस ऐसे खत्म नहीं होता.'
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