Nripendra Mishra
Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर में बने रामदरबार जो प्रथम तल पर स्थित है, इसके साथ सात मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की गई है. प्रथम तल का निर्माण पूरा हो गया है. वहीं खास बात यह है कि अयोध्या राम मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़ के पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर में बंसी पहाड़ का करीब 4 लाख 50 हजार क्यूबिक फीट रेड स्टोन का इस्तेमाल किया गया है. इस बात की जानकारी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के चेयरमैन और राम मंदिर निर्माण के सूत्रधार नृपेंद्र मिश्रा ने खुद NDTV को बताई है. उन्होंने राम मंदिर की हर एक बात बताई जिसे लोग जानना चाहते हैं.
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर और उसमें मौजूद सभी सात मंडलों का कार्य पूरा हो चुका है.प्रथम तल पर राम दरबार की आज प्रतिष्ठा हो गई है. द्वितीय तल भी पूर्ण है. अब तक के न्यास के निर्णय के मुताबिक, उस पर कोई मूर्ति स्थापित नहीं होनी है. उसमें रामायण की दुर्लभ पांडुलिपियों को रखा जाएगा. उसके बाद स्वर्ण शिखर पूरा हो गया.
पहले छोटे मंदिर की थी कल्पना
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि यहां पर 7 मंदिर है जिसे सप्त मंडप कहते हैं. पहले जब मंदिर निर्माण की कल्पना की जा रही थी तो बहुत छोटे आकार में मंदिर की कल्पना की गई थी. उन्होंने कहा उस वक्त अंदाज नहीं था की सुप्रीम कोर्ट 71 एकड़ जमीन दे देगी और जनता के द्वारा शत-प्रतिशत योगदान करेगी. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इसमें एक पैसा सरकार का नहीं लगा है. इसमें पूरा योगदान देश और विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने दिया है. यह भी अनुमान नहीं था कि इतनी धनराशि मंदिर के लिए आ जाएगी.
बाद में आई परकोटे की कल्पना
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के चेयरमैन ने बताया कि परकोटा की कल्पना पहले नहीं की गई थी, यह बाद में आया. कोरोना खत्म होने के बाद 2023 में इस विषय को सोचा गया जिसमें कहा गया कि परकोटा बनना चाहिए. ऐसा इसलिए की राजस्थान और महाराष्ट्र के बड़े-बड़े मंदिरों में परकोटा होता है, तो इससे परकोटे की परिकल्पना की गई. लेकिन अब यह उस परिकल्पना से भी बाहर है.
पुष्करणी निर्माण का बेहद महत्व
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर परिसर में बनी पुष्करणी को पवित्र माना जाता है. उन्होंने कहा वास्तु की तरह इसका भी बेहद महत्व है. पुष्करणी के पास लोग आएंगे और बैठकर ध्यान करेंगे. इसलिए मंदिर परिसर में इसका निर्माण किया गया है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुष्करणी में यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी पानी इसमें 4 घंटे से पुराना न हो, इसलिए इसके पानी की रिसाइकिल करने के लिए प्लांट भी लगाया गया है.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार मंदिर निर्माण कार्य की समीक्षा कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि भगवान के दो स्वरूप हैं. पीएम मोदी ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि एक तो वह भगवान हैं और दूसरे वो हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं. भगवान राम ने अपने जीवनकाल में अपने राज्य में सामाजिक समरसता बचपन से निभाई है. उस सामाजिक समरसता के तहत जो भगवान के जीवन से जुड़े हैं आप आप यदि उनका भी मंदिर बना देंगे तो आज की पीढ़ी को यह पता लगेगा कि भगवान ने कैसे सामाजिक समरसता निभाई और बचपन से निभाई.