Dextromethorphan Cough Syrup: राजस्थान में बच्चों की जान के लिए कफ सिरप काल बन गया. पिछले 5-6 दिन में हुए घटनाक्रम में भरतपुर से लेकर सीकर और जयपुर से बांसवाड़ा तक अलग-अलग मामलों में बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. प्रारंभिक रूप से इस मामले में बच्चों की तबीयत कफ सिरप पीने के बाद बिगड़ी बताई जा रही है. बच्चों के परिजनों का कहना है कि सरकारी सप्लाई का कफ सिरप दिए जाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ी. सीकर और भरतपुर में तो दो बच्चे की मौत भी हो गई. हालांकि चिकित्सा विभाग ने इस मामले में जांच कमेटी बना दी है.
लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि तकरीबन 4 साल पहले दिल्ली में इसी कफ सिरप डेक्स्ट्रोमेथोर्फन (Dextromethorphan) के चलते तीन बच्चों की मौत के बाद जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में इस कफ सिरप का इस्तेमाल बच्चों पर रोक दिया, तो फिर राजस्थान में ऐसा क्यों नहीं किया गया?
सिस्टम पर कई सवाल
खांसी रोकने के लिए आमतौर पर बच्चों को कफ सिरप दिया जाता है, लेकिन राजस्थान में डेक्स्ट्रामैथोर्फन कफ सिरप दिए जाने के बाद खांसी ही नहीं, बल्कि दो मामलों में तो सांस भी रुक गई है. कफ सिरप को तो इसके बाद सरकार ने सप्लाई से रोक दिया है, लेकिन इस पूरे मामले में सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
क्या यह सिरप बच्चों के लिए सुरक्षित है?
पहला सवाल यह उठता है कि क्या यह कफ सिरप बच्चों की सेहत के लिए सुरक्षित है? सवाल इसलिए, क्योंकि जिन मामलों में कफ सिरप के बाद तबीयत बिगड़ी है, उनमें अधिकांश पेशेंट बच्चे हैं और वह भी 6 साल से कम उम्र के. सीकर और भरतपुर में अलग-अलग जगह दो बच्चों की मौत की बात भी आई और इन दोनों की उम्र भी 6 साल से कम थी. जयपुर में बच्चों की तबीयत बिगड़ने और बांसवाड़ा में आठ बच्चों की तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराए जाने के जो मामले आए, उनमें भी बच्चों की उम्र 5 साल से कम बताई जा रही है. ऐसे में बच्चों की सेहत के लिहाज से यह दवा सवालों के घेरे में दिख रही है.
दिल्ली में भी डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप ले चुकी है बच्चों की जान
दिल्ली में डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप बैन है, अगर इस दवा पर पहले सवालिया निशान लग चुका है, तो फिर बच्चों को यह दवा क्यों लिखी गई? दरअसल साल 2021 में दिल्ली में ऐसा ही मामला आया. जहां डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप लेने से 16 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई. इनमें से तीन बच्चों की तो मौत भी हो गई. दिल्ली के कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में यह मामला आने के बाद जांच हुई और उस जांच में पाया गया की डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप पॉइजनिंग के कारण बच्चों की मौत हुई. इसके तत्काल बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज ने दिल्ली में बच्चों के लिए दवा के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. 14 दिसंबर 2021 को दिल्ली सरकार के डायरेक्टर हेल्थ सर्विस को लिखेपत्र में साफ लिखा गया है कि, तीन बच्चों की मौत की जांच में डेक्स्ट्रोमेथोर्फन प्वॉइजनिंग का मामला आया है. ऐसे में दिल्ली सरकार के डीजीएचएस को कहा गया कि वह अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी डिस्पेंसरी और मोहल्ला क्लीनिक को इस बात के निर्देश दें कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप नहीं लिखा जाए.
क्या हैं बड़े सवाल
इसके साथ ही ओमेगा फार्मा की तरफ से बनाई गई इस दवाई को जनहित में वापस लेने के निर्देश भी दिए गए. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर दिल्ली में 4 साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा देने की रोक थी, तो क्या राजस्थान के बच्चे दिल्ली के बच्चों से अलग थे? सवाल यह उठ रहा है कि यह रोक लगाने का पत्र केवल दिल्ली सरकार तक ही क्यों सीमित रखा गया? और सवाल यह भी कि अगर दिल्ली में इस दवा को बच्चों को देने से रोक थी तो क्या डॉक्टर्स अपनी मेडिकल प्रेक्टिस में इस बात का ध्यान नहीं रखना चाहिए था? इस घटनाक्रम ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब गलती जिसकी भी निकले... खामी जहां भी हो... लेकिन क्या इन बच्चों की ज़िन्दगी लौटाई जा सकेगी?
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