'लड़ना है तो बाहर आ जा', BAP विधायक ने बीजेपी सांसद को धमकाया, राजकुमार रोत और मन्नालाल में जमकर हुई तू-तू, मैं-मैं

बांसवाड़ा में बैठक के दौरान बीएपी सांसद राजकुमार रोत एजेंडे से हटकर राज्य सरकार के मुद्दे उठा रहे थे जिसे लेकर भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने आपत्ति की और फिर हंगामा हो गया.

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बीएपी सांसद राजकुमार रोत और बीएपी विधायक उमेश डामोर की बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत के साथ बहस हो गई
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राजस्थान के डूंगरपुर में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (DISHA) की एक बैठक में जमकर हंगामा हुआ और नेताओं के बीच तू-तू, मैं-मैं होने लगी. आज सोमवार को जिला परिषद के ईडीपी सभागार में आयोजित बैठक में हंगामा हो गया. बैठक में बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत, उनकी पार्टी के आसपुर सीट से विधायक उमेश डामोर तथा उदयपुर से भाजपा सांसद मन्नालाल रावत हिस्सा ले रहे थे. लेकिन वहां नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई और माहौल इतना गरमा गया कि सुरक्षाकर्मियों को बीच में आकर बीच बचाव करना पड़ा. इसी बहस के दौरान बीएपी विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल रावत को धमकी दे डाली.

बैठक में हंगामे का नज़ारा:

बैठक के बीच भिड़ गए दोनों सांसद

दिशा की बैठक की शुरुआत में बीएपी सांसद राजकुमार रोत अपनी बात रख रहे थे. लेकिन वह एजेंडे से हटकर राज्य सरकार के मुद्दे उठाने लगे. इस पर भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने आपत्ति की और एजेंडे के अनुसार केंद्र सरकार की योजनाओं के मुद्दे रखने की बात कहने लगे. इसी बात पर रोत और रावत के बीच बहस शुरू हो गई.

सांसद राजकुमार रोत ने कहा,"बैठक का अध्यक्ष मैं हूं और यहां क्षेत्र की हर उस समस्या पर चर्चा हो सकती है जो जनता से जुड़ी है." बहस तब और बढ़ गई जब रोत ने आरोप लगाया कि मन्नालाल रावत केवल माहौल खराब करने आए हैं और वे डूंगरपुर का विकास नहीं चाहते. 

हंगामे का नज़ारा:

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विधायक ने दी धमकी

लेकिन विवाद और बढ़ने लगा. मन्नालाल रावत ने जब खुद को 'धमकाया जाने वाला निर्वाचित जनप्रतिनिधि' बताया, तो आसपुर विधायक उमेश डामोर भी इस बहस में कूद पड़े. विधायक डामोर और सांसद रावत के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल को धमकी दे डाली और कहा कि अगर 'लड़ाई करनी है तो बाहर आ जाओ'.

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करीब 15 मिनट तक चले इस हाई-वोल्टेज ड्रामे के कारण बैठक का माहौल पूरी तरह गरमा गया. इससे सुरक्षाकर्मियों को बीच में आकर बचाव करना पड़ा. सदन में मौजूद अन्य सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों पक्षों को शांत कराया. बीच-बचाव के बाद ही बैठक की कार्यवाही दोबारा सुचारू रूप से शुरू हो सकी.

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