राजस्थान के बारां में RSS के पथ संचलन के दौरान बवाल, विरोध के चलते दिनभर रहा तनाव

समुदाय विशेष का क्षेत्र होने के चलते वहां के लोगों ने RSS के पथ संचलन को इस रास्ते से निकलने नहीं दिया. लोग लाठियां लेकर बड़ी संख्या में आरएसएस के मार्च के आगे खड़े हो गए, जिस पर मार्च को रोकना पड़ा. 

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RSS के पथ संचलन के दौरान बवाल

Rajasthan News: आरएसएस के पथ संचलन को समुदाय विशेष द्वारा रोकने पर बारां में बवाल हो गया. जब स्थिति खराब हो गई तो एसपी और कलेक्टर मौके पर पहुंचे. बाद में आरएसएस (RSS) के स्वयसेंवकों का मार्च निर्धारित मार्ग पर जारी रहा. हालांकि, सुबह पथ संचलन शुरू होने के 7 घंटे बाद तक शहर में तनाव की स्थिति रही. कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने रविवार दोपहर शहर में ‘फ्लैग मार्च' किया. 

समुदाय विशेष के लोगों ने रोका

दरअसल प्यारे राम मंदिर से आरएसएस के स्वयंसेवकों का मार्च निकलना था. इस बार स्वयंसेवक संघ के लोगों द्वारा इस पथ संचलन को कौशर कॉलोनी , खिड़की दरवाजा से अंजुमन चौराहे तक लाना था, लेकिन समुदाय विशेष का क्षेत्र होने के चलते वहां के लोगों ने इस रास्ते से निकलने नहीं दिया. समुदाय विशेष के लोग लाठियां लेकर बड़ी संख्या में आरएसएस के मार्च के आगे खड़े हो गए, जिस पर मार्च को रोकना पड़ा. 

4 घंटे तक चली बातचीत

घटना की सूचना पर तुरंत कलेक्टर और एसपी समेत आला अफसर मौके पर पहुंच गए. उन्होंने करीब चार घंटे तक पद संचलन निकालने को लेकर दोनों पक्षों से बातचीत की, लेकिन दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़े रहे. इस बीच दोनों ही पक्षों में कई बार आमने-सामने होने की नौबत आ गई.

लोगों को शांत करने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पथ संचलन रुकने के करीब 6 घंटे बाद भारी पुलिस लवाजमे की मौजूदगी में पद संचलन को मार्ग से निकल गया. इस दौरान समुदाय विशेष के सैकड़ों लोग हाथों में डंडे लेकर नारेबाजी करते भी नजर आए. हालांकि पुलिस प्रशासन की भारी मौजूदगी और उच्च अधिकारियों की सजकता से पथ संचलन को शांतिपूर्वक निकाल लिया गया. 

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एसपी बोले- विवाद सुलझ गया

एसपी ने कहा कि आरएसएस पथ संचलन के मार्ग को लेकर विवाद हुआ था, जिसे तुरंत सुलझा लिया गया. बाद में पथ संचलन अपने निर्धारित मार्ग पर आगे बढ़ा. अब स्थिति शांतिपूर्ण है. आरएसएस स्वयंसेवक महावीर नामा ने कहा कि जिला प्रशासन को मार्च और उसके मार्ग के बारे में सूचित कर दिया गया था. जिस तरह एक खास समुदाय के लोगों ने मार्च पर आपत्ति जताई और उसे रोका, वह गलत था. मार्च को रोका नहीं जाना चाहिए था.

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