Rajasthan: 32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनने जा रही लड़की, बेंगलुरु की कंपनी में थी सॉफ्टवेयर इंजीनियर

मां ऊषा कोठारी ने आगे कहा कि उनकी बेटी हर्षाली बेंगलुरु में एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और उसका 32 लाख रुपए का पैकेज था, जिसे छोड़कर उसने साध्वी बनने का निर्णय लिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनने जा रही लड़की

Rajasthan News: राजस्थान के ब्यावर की रहने वाली 28 वर्षीय बहिन हर्षाली कोठारी सांसारिक जीवन की मोहमाया त्याग कर दीक्षा ग्रहण करने जा रही हैं. हर्षाली 32 लाख रुपए का सालाना पैकेज छोड़कर ब्यावर स्थित आचार्य राम लाल जी महाराज के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण करेंगी. इससे पहले अजमेर के महावीर कॉलोनी में दीक्षा लेने वाली हर्षाली की बुआ के घर वरघोड़ा निकला गया. इस दौरान उनका अभिनंदन करते हुए उनका आशीर्वाद भी लिया गया. 

2 दिसंबर में हर्षाली की होगी दीक्षा

रविवार को अजमेर पहुंची हर्षाली कोठारी ने कहा कि वह 4 साल पहले कोविद-19 महामारी के दौरान ब्यावर स्थित जैन गुरु आचार्य रामलाल जी महाराज के चातुर्मास में शिरकत करने पहुंची थी. यहां उन्होंने जैन समाज की सभी परंपराओं का परिचय ध्यान किया और इससे उन्हें प्रेरणा मिली कि वह भी सांसारिक मोह माया को त्याग कर जैन साध्वी बनेंगी. ऐसे में 3 दिसंबर को उनकी दीक्षा ब्यावर में होगी.

दीक्षा से पहले निकाला गया वरघोड़ा

इसके बाद वह संपूर्ण जीवन साध्वी बनकर ही गुजरेगी. उन्होंने कहा कि उन्हें पैसों की मोह माया से दूर निकालकर अब मानव जीवन जीना है. सुख दुख क्या है और जीवन क्यों मिला है. इसका उत्तर संयम मार्ग है और इसीलिए वह इस मार्ग पर चलना चाहती हैं. हर्षाली की मां कोठारी ने बताया कि उनकी बेटी की यह इच्छा उनके लिए काफी मुश्किल है, लेकिन गुरुजनों की प्रेरणा से उसने यह निर्णय लिया है. ऐसे में दीक्षा से पहले वरघोड़ा निकाला गया, जहां सभी ने उनकी बेटी का अभिनंदन करते हुए उनसे आशीर्वाद लिया.

सवालों के घेरे में IAS टीना डाबी का नवो बाड़मेर अभियान, नगर परिषद के पार्षदों ने लगाए गंभीर आरोप

यह वरघोड़ा अजमेर की महावीर कॉलोनी से अलग-अलग क्षेत्र में निकल गया. इस दौरान बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे. मां ऊषा कोठारी ने आगे कहा कि उनकी बेटी हर्षाली बेंगलुरु में एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और उसका 32 लाख रुपए का पैकेज था, जिसे छोड़कर उसने साध्वी बनने का निर्णय लिया है. तीन भाइयों में वह एक ही बेटी थी और इसे लेकर उन्हें दुख बहुत है, लेकिन वह संयम मार्ग में आगे बढ़े यह भी सभी के लिए जरूरी है. इसीलिए इसके सुख की कामना करते हुए उन्होंने उसे अनुमति दी.

Advertisement

यह भी पढ़ें- नरेश मीणा के SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मारने पर बोले हनुमान बेनीवाल, कहा- मैं नहीं मार पाया