20 साल पहले हुए थे गायब, मृत मान परिजनों ने कर दिया था क्रिया-कर्म, अब घर से 1000 किमी दूर ऐसे हुआ मिलन

यह कहानी किसी फिल्म की तरह है. 20 साल पहले घर से अचानक गायब हुआ शख्स अब अपने गांव से 1000 किलोमीटर दूर परिजनों से मिला है.

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20 साल परिजनों से मिले कमरुद्दीन.

ऊपर तस्वीर में दिख रहा यह शख्स 20 साल पहले घर से अचानक गायब हो गया था. लापता होने के बाद काफी दिनों तक परिजनों ने इनकी तलाश की. बाद में थक-हार कर मृत मानकर इनका क्रिया-कर्म भी कर दिया. लेकिन अब 20 साल बाद ये अपने परिजनों से सकुशल मिले. परिवार के लापता मुखिया से 20 साल मिलकर उनकी पत्नी, भाई सहित सभी सदस्यों के आंखों में आंसु आ गए. किसी फिल्म की तरह दिखने वाली यह कहानी राजस्थान के भरतपुर जिले से सामने आया है. जहां बेघरों के लिए बने अपना घर आश्रम में बिहार के कमरुद्दीन अपने परिजनों से आज सकुशल मिले. 

बिहार के कमरुद्दीन 20 साल पहले हो गए थे लापता

मिली जानकारी के अनुसार बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले कमरुद्दीन 20 साल पहले मानसिक अस्वास्थ्य के चलते परिजनों से बिछुड़ गए थे. परिजनों ने उनकी सभी जगह तलाश लेकिन वह कही नहीं मिले. उन दिनों जिले में बाढ़ आई हुई थी सोचा कि पानी में बह गए होंगे. इसी के चलते उनको मृत मान लिया.

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परिजनों ने मृत मान कर दिया था क्रिया-कर्म

इसके बाद मृतक की क्षमा मांगने के लिए सामूहिक प्रार्थना भी कर ली. परम्परागत रूप से भोजन भी परोसा एवं दान-पुण्य भी कर दिया. लेकिन अचानक से 20 साल बाद परिजनों को कमरुद्दीन की जीवित होने की सूचना मिली तो परिवार की खुशी ठिकाना नहीं रहा. पत्नी ने कहा कि यह किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. एक बार पुनः जीवन की खुशहाल पारी शुरू हो गई. इसके लिए खुदा का लाख-लाख शुक्रिया.

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शनिवार को कमरुद्दीन की पत्नी बहन और भाई और उनका बेटा उन्हें लेने के लिए भरतपुर स्थित अपना घर आश्रम पहुंचे. जहां इस अपने परिजनों से मिलकर कमरुद्दीन की आंखे भी नम हो गई.

भाई ने बताया- मानसिक बीमार थे, तब मात्र 4 साल का था बेटा

भाई बदरुद्दीन ने बताया कि कमरुद्दीन मानसिक बीमार थे. उनका रांची से नियमित इलाज चल रहा था, लेकिन सुधार नहीं हुआ. इसी दौरान एक दिन भैया घर से निकल गए. उस समय इनका बेटा गुलजार मात्र 4 वर्ष का था. हम लोगों ने कमरुद्दीन को सभी जगह खोजा जहां-जहां उनके मिलने की संभावना थी, लेकिन कहीं कोई सफलता हाथ नहीं लगी. आखिरकार निराश होकर इनको मृत मान लिया और इस्लाम धर्म के अनुसार क्रिया-कर्म कर दिया गया.

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20 साल परिजनों के साथ कमरुद्दीन.

अमृतसर से एक महीने पहले भरतपुर आए थे कमरुद्दीन

कमरुद्दीन को गंभीर मानसिक एवं शारीरिक रूप से बीमार हालत में पंजाब के अमृतसर से सेवा, उपचार एवं पुनर्वास हेतु एक सामाजिक संस्था द्वारा अपना घर आश्रम भरतपुर में 02 नवम्बर 2024 को भर्ती कराया गया. अपना घर आश्रम में इनका उपचार नियमित जारी रहा जिससे एक माह के अंदर ही इन्होंने अपने परिवार का पता बता दिया. उन्होंने अपना पता गांव सिलाव, थाना कडा बजार, जिला नालंदा, बिहार का होना बताया.

अपना घर की पुर्नवास टीम ने कमरुद्दीन द्वारा बताए गए पते पर संपर्क किया तो पहली बार में परिजन समझ ही नहीं पाए कि कमरूद्दीन अभी जिंदा भी हो सकता है. उनके लिए अकल्पनीय के साथ-साथ अविश्सनीय भी था क्योंकि परिवार तो उनके सुपुर्द ए खाक की पूरी रस्म अदा कर चुका था. 

वीडियो कॉल पर परिजनों ने की पहचान

उन्होंने वीडियो कॉल करने को कहा जब वीडियो कॉल पर एक-दूसरे को देखा तो 18 सालों में इतना सब कुछ बदल गया था कि एक दूसरे को पहचान ही नहीं सके. लेकिन जब पत्नी मुसर्रद खातून, भाई बदरुद्दीन से बात हुई तो एक-दूसरे को पहचाना और फिर खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. पत्नी ने कहा कि यह किसी फिल्म स्टोरी से कम नहीं है एक बार पुनः जीवन की खुशहाल पारी शुरू हो गई इसके लिए खुदा का लाख-लाख शुक्रिया.

अपना घर आश्रम में पत्नी, भाई, बेटा, बहन अन्य परिजन आए और कमरुद्दीन को देखकर सभी के चहरे खिल उठे. बेटा गुलजार ने बताया कि इस अवधि में चाचा बदरुद्दीन ने हमारी मदद की और मां ने बीड़ी बनाने के उद्योग में नौकरी की जिससे हमारे परिवार का पालन पोषण होता था.

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