18 साल बाद मिली लापता हुई पहली पत्नी, दूसरी ने भिजवाया सिंदूर, 16 श्रृंगार कर पति ले गया घर

जिस महिला को मृत मान चुके थे और आंखों के सामने जीवित देख आंखो से खुशी के आंसू झलक उठे और नव विवाहित दुल्हन की तरह पत्नी ललिता को पति विदा करके अपने घर ले आया. 

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Rajasthan News: कहते हैं 'जाको राखे साइयां मार सके न कोय' इसका बड़ा उदाहरण भरतपुर में देखने को मिला है. यहां कर्नाटक निवासी ललिता 18 साल पहले मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलते अपने घर से निकल गई थी. परिजनों के द्वारा काफी तलाश की गई लेकिन जब वह नहीं मिली तो उन्हें मृत मान लिया गया. पति ने बच्चों के पालन पोषण के लिए दूसरी शादी कर ली.

18 साल बाद ललिता के जिंदा होने की जानकारी जब परिजनों को मिली तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं पति-पत्नी को लेने के लिए अपने घर आश्रम भरतपुर पहुंचे. साथ ही पति-पत्नी के लिए शृंगार का सामान लेकर भी आए. दूसरी पत्नी ने पूरे उत्साह के साथ सारी तैयारी खुद की.  

चेरिटेबल ट्रस्ट ने सूरत में किया था रेस्क्यू

ललिता पत्नी शिवलिगप्पा 18 साल पहले अपने घर से निकल गई थी. पति के द्वारा पत्नी की बहुत तलाश की गई. लेकिन नहीं मिलने के चलते उसे मृत मान लिया. दो बेटे और एक बेटी की जिम्मेदारी के चलते महानंदा महिला से दूसरी शादी भी कर ली. घर से निकली महिला ललिता 2013 में चेरिटेबल ट्रस्ट सूरत में रेस्क्यू की गई थी और स्थान अभाव के कारण अपना घर आश्रम भरतपुर में भर्ती कराया था. तभी से इनका उपचार चल रहा था.

दूसरी पत्नी ने किया स्वागत का इंतेजाम

इनके स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद इन्होंने अपना पता बताया और इनके बताए गए पते पर पुलिस के माध्यम से संपर्क किया गया. जब पुलिस वाले ललिता की जिंदा होने की सूचना घर लेकर पहुंचे तो उन्हें एक बार विश्वास नहीं हुआ. जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराई गई तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पति शिवलिगप्पा से दूसरी पत्नी महानंदा ने तुरंत कहा कि बड़ी दीदी को घर लेकर आए और उनके के लिए शृंगार का सामान दिया.

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एक दूसरे को देख खुशी से झूमें पति-पत्नी

पति बझेरा स्थित अपना घर आश्रम पहुंचे, जहां पत्नी को आंखों के सामने देख खुशी से झूम उठें. वहीं पत्नी भी अपने पति को देख आंसू नहीं रोक पाई. पत्नि को लेने आए पति शिवलिगप्पा श्रृंगार का सारा सामान लेकर आएं. यही पर सिंदूर का टीका लगाकर मंगलसूत्र, कंगन, झुमके, बाली और वस्त्र पहनाएं. साथ ही नवविवाहिता की तरह विदा करके ले गए.

दूसरी पत्नी महानंदा ने इन तीनों बच्चों की परिवरिश की पढ़ा लिखाकर कर बड़ा किया. जिनमें बड़ा विनायक बैंगलोर यूनिवर्सिटी में संविदा पर क्लर्क, छोटा बेटा भोपाल में कपड़े की फैक्ट्री में जॉब करते है, जबकि बेटी की शादी भी कर दी.

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