Rajasthan News: राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से सरकार की निशुल्क दवा योजना के तहत दी जा रही एक खांसी की सिरप की बड़ी चर्चा हो रही है. इस कफ सिरप को पीने से अभी तक 2 बच्चों की मौत हो चुकी है और कई बच्चे गंभीर रूप बीमार हैं. भरतपुर में एक बच्चे के परिजनों के हंगामे के बाद जब एक डॉक्टर ने चेक करने के लिए दवा पी तो वह भी गंभीर रूप से बीमार हो गया. वहां दो ड्राइवरों ने भी दवा पी और वे भी बीमार हो गए. इस बीच अब भरतपुर जिले के मलाह गांव से भी एक मामला सामने आया है जहां एक ही परिवार में सिरप ने एक मासूम की जान ले ली, जबकि दो अन्य बच्चे गंभीर हालत में पहुंच गए.
मृतक बच्चे के परिजनों का कहना है कि उनके दो साल के बेटे सम्राट को जुकाम और खांसी की शिकायत थी. उसे इलाज के लिए गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां एक एएनएम ने खांसी की सिरप दी. इस सिरप को पीने के बाद तीन बच्चों की हालत बिगड़ गई.
एक साथ 3 बच्चे हुए बेहोश
जानकारी के अनुसार, मृतक सम्राट की मां ज्योति ने बताया कि उनके बेटे सम्राट (2 साल), बेटी साक्षी (4 साल) और भतीजे विराट (4 साल) को खांसी-जुकाम था. तीनों को उप स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां एएनएम ने सिरप दी. साक्षी और विराट ने वहीं सिरप पी ली, जबकि सम्राट ने घर जाकर पी.
दोनों बच्चे भी हुए थे बेहोश.
इसके कुछ देर बाद तीनों बच्चे बेहोश हो गए. साक्षी और विराट ने उल्टी की और होश में आ गए, लेकिन सम्राट की हालत बिगड़ती गई. उसे शाम 6:15 बजे भरतपुर के जनाना अस्पताल में भर्ती किया गया. वहां से उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर किया गया, जहां पांच दिन बाद 22 सितंबर को सुबह 8:30 बजे उसने दम तोड़ दिया.
गरीब परिवार ने नहीं की कोई शिकायत
सम्राट की दादी ने बताया कि परिवार मजदूरी करता है और ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है. इस वजह से उन्होंने किसी से शिकायत नहीं की. दादी ने कहा, "मैं अपने नातियों को बकरी चराकर पाल रही थी, लेकिन अब सब उजड़ गया."
सम्राट के पिता प्रकाश ने बताया कि जनाना अस्पताल में डॉक्टरों ने सिरप की बोतल का फोटो मांगा था, लेकिन हालत न सुधरने पर जयपुर रेफर किया गया. परिजनों को बाद में सोशल मीडिया और खबरों से पता चला कि बयाना और सीकर में भी यही सिरप बच्चों की मौत का कारण बना.
अधिकारियों का जवाब, होगी जांच
भरतपुर के सीएमएचओ डॉ. गौरव कपूर ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था. अब जानकारी मिलने के बाद इसकी जांच कराई जाएगी. इस घटना के बाद सरकार कि मुफ्त दवा योजना में दी जा रही दवाइयों की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए. गरीब परिवारों का दर्द और लापरवाही के हादसे सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ा सवाल खड़ा करते है.