भरतपुर: गोला देवी टेराकोटा से गमला, फ्लोवर स्टैंड बनाकर कमा रही हजारों रुपये, 11 महिलाओं को दे रखा है काम; देश के विभिन्न क्षेत्रों में मांग

राजस्थान के भरतपुर जिले के शास्त्री पार्क में आयोजित राजसखी मेले में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं. जिले के बरौलीरान गांव की गोला देवी, जो टेराकोटा उत्पादों की विशेषज्ञ हैं. उन्होंने मेले में अपनी सफलता की कहानी लोगों को बताई है. 

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गोला देवी.

Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर जिले में महिला स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने के लिये राजसखी मेले का आयोजन शहर स्थित शास्त्री पार्क में किया जा रहा है. इसमें आजीविका से जुड़ी तमाम महिलाओं द्वारा खुद के बने उत्पादों की दुकान लगाई है. मेले में नदबई उपखंड के बरौलीरान गांव निवासी गोला देवी भी आई है. यह एक ऐसी महिला है, जो आवाजिका से जुड़कर अपनी सफलता की कहानी लिख रही है. 

देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादों की मांग

जानकारी के अनुसार महिला पहले मिट्टी से छोटा-मोटा उत्पाद बनाकर परिवार का पालन पोषण करती थी. दो साल पहले आविजिका से जुड़कर टेराकोटा से गमला, फ्लोवर स्टैंड , मूर्ति आदि उत्पाद बनाना सीखी. जिससे अब वह 15 से 20 हजार रुपए कमा रही है. साथ ही एक दर्जन महिलाओं को रोजगार देकर खुद के साथ उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही है. उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की देश के विभिन्न क्षेत्रों में मांग है.

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महीने का कमा रही 15 से 20 हजार रुपये

गोला देवी ने बताया कि वह पहले वह मिट्टी से मटके, दीपक बनाने का काम करती थी. लेकिन दो साल पहले वह आजीविका समूह से जुड़ी तो इनके द्वारा इन्हें विशेष ट्रेनिंग देकर वह टेराकोटा से मूर्ति, वर्तन, गमले, फ्लावर्स स्टैंड आदि सामान बनाना सीखी. उसके बाद आविजिका के सहयोग से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जयपुर, जोधपुर, कोटा, भरतपुर सहित विभिन्न क्षेत्र में दुकान लगाने का मौका मिला. वहीं अब वह प्रति माह इससे 15 से 20 हजार रुपए कमा रही है. 

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11 महिलाओं को दे रखा है काम

गोला देवी ने आगे बताया कि उनके पास 11 महिलाएं भी काम करने के लिए आती है. जिन्हें भी महीना का 5 से 7 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है. पहले महिलाएं ज्यादातर घर पर ही रहकर घरेलू कार्य करती थी. लेकिन जब से मैं और अन्य महिलाएं आजीविका से जुड़ी है, उसके बाद हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. हम महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर परिवार का पालन पोषण कर सफलता की कहानी लिख रहे हैं.

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