अल्पसंख्यक और गुर्जर बाहुल्य सचिन पायलट की टोंक विधानसभा में भाजपा ने बिधूड़ी के खिलाफ बिधूड़ी कार्ड खेला है. टोंक के प्रभारी बनाए गए दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों के गोत्र एक है और गोत्र के हिसाब से दोनों गोती भाई है पर सियासी जंग में दोनों के मकसद ओर लक्ष्य अलग होंगे.
हालांकि रमेश विधुड़ी को टोंक प्रभारी बनाए जाने पर कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं ने उनके विरोध की घोषणा कर दी है और अब वो उनके टोंक आने का इंतजार कर रहे है. वहीं, कांग्रेस अल्पसंख्यक नेताओं के विरोध की घोषणा पर भाजपा ने कहा है कि उनके नेता का विरोध कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा.
दरअसल, भाजपा सांसद और टोंक जिला प्रभारी रमेश बिधूड़ी द्वारा संसद मे बसपा सांसद दानिश अली पर की गई टिप्पणी पर अल्पसंख्यकों कांग्रेसियों में गहरा आक्रोश है और उन्होंने विधुड़ी के टोंक आने पर उनके विरोध की घोषणा की है. एक ओर जहां कांग्रेसी रमेश बिधूड़ी के पुतले जलाने ओर विरोध प्रदर्शन की बात कर रहे है, तो दूसरी ओर भाजपाईयों में रमेश बिधूड़ी के टोंक प्रभारी बनाए जाने से खुशी का माहौल है.
स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि सासंद रमेश बिधूड़ी का बयान पर बात हो रही है, लेकिन दानिश अली के पूर्व के बयानों पर भी बात होनी चाहिए. अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं के विरोध वाले बयान पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पराणा ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे नेता का विरोध हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
गौरतलब है टोंक विधानसभा चुनाव में नगर परिषद ओर पंचायत समिति का भ्रष्टाचार प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है. वहीं, अवैध बजरी खनन ओर लीज धारक का माफिया राज भी एक मुद्दा बनेगा. वहीं, बिजली, पानी सड़क भी मुद्दे समेत आजादी के बाद अब तक टोंक तक रेल सेवा का नहीं पहुंचना बड़ा मुद्दा है.
2018 विधानसभा चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर वर्तमान विधायक सचिन पायलट ने 54 हजार वोटों की ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, लेकिन आज हालात के बदल गए हैं और अगर कांग्रेस पालट को टोंक से दोबारा चुनाव लड़ाती है तो टोंक सीट पर उनकी राह अब 2018 की तरह आसान नहीं होगी. हालांकि वर्तमान के जातिगत समीकरणों को देखकर पायलट अभी भी टोंक विधानसभा में एक मजबूत प्रत्याशी बने हुए हैं.
इसे इत्तेफाक कहे या रणनीति पर अब भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को टोंक में गुर्जर ही नहीं, बिधूड़ी से उम्मीद है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2018 में कांग्रेस ने टोंक की चारों सीटों पर गुर्जर मतदाताओं को साधने के लिए कांग्रेस के सचिन पायलट (गोत्र बिधूड़ी) का सहारा लेकर चार में से 3 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है.
वहीं, भाजपा 2018 में अल्पसंख्यक कार्ड की असफलता के बाद 2023 में कांग्रेस के बिधूड़ी (पायलट) को रोकने के लिए संसद में हेट स्पीच से चर्चा में आए सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले का चुनाव प्रभारी बनाकर हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण करना चाहती है.
ये भी पढ़ें- Rajasthan Election 2023: दीया कुमारी को हाईकमान ने फोन कर बुलाया, 20 मिनट तक हुई बातचीत, वसुंधरा को लिए खतरे की घंटी!