Akshay Tritiya: बूंदी जिले में अक्षय तृतीया से पहले संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा किए जा रहे प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है. प्रशासन ने गेंडोली, रायथल, इंदरगढ़ और बसौली थाना क्षेत्रों में दबिश देकर 14 बाल विवाहों पर न्यायालय से निषेधाज्ञा (स्टे) जारी करवा दी. इस कार्यवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि अब तक बाल विवाहों के खिलाफ प्रशासन और पुलिस की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है.
अदालतों से निषेधाज्ञा जारी करवाई
बाल संरक्षण इकाई से जुड़े रामनारायण गुर्जर ने बताया कि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन आयोजित होने वाले बाल विवाहों की सूचना मिलने पर चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की टीम, तहसीलदारों और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से विभिन्न अदालतों से निषेधाज्ञा जारी करवाई गई. प्रशासन ने बाल विवाह के दुष्परिणामों को समझाकर परिजनों को समझाइश दी और प्रभावी कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद पेश किए. अदालत ने सुनवाई कर सभी 14 बाल विवाहों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया.
इनकी रही प्रमुख भूमिका
इस कार्रवाई में बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष सीमा पौद्दार, बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक हुकमचन्द्र जाजौरिया, रायथल तहसीलदार प्रकाशचन्द्र मीणा, इंद्रगढ़ तहसीलदार राजेन्द्र मीणा, नायब तहसीलदार रामभरोस मीणा और इंदरगढ़ थाने के एएसआई महावीर सैनी सहित कई अधिकारी, कर्मचारी और पुलिसकर्मी सक्रिय रहे. सभी ने मिलकर अलग-अलग टीमों के साथ मौके पर पहुंचकर बाल विवाह रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
धर्मगुरुओं ने भी अहम भूमिका निभाई
बाल विवाह रोकथाम के इस अभियान में धर्मगुरुओं ने भी अहम भूमिका निभाई है. ग्रामराज्य विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान ने ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' नेटवर्क के तहत विभिन्न धर्मों के पुरोहितों के बीच जागरूकता अभियान चलाया, जिसे व्यापक सफलता मिली. संस्था की प्रोग्राम हेड मनीषा मीणा ने बताया कि धर्मगुरुओं का सहयोग अभिभूत करने वाला रहा और उनके समर्थन से यह विश्वास जगा है कि इस अक्षय तृतीया पर बूंदी जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा.
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