Fake Organ Transplant: फेक ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में बड़ी कार्रवाई, एसएमएस अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने दिया इस्तीफा

Fake Orgon Transplant Issue: सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में फेक ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में एसएमएस के सुप्रीडेंटेंट डा. अचल शर्मा, कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव बगरहट्टा और आरयूएचएस के वीसी सुधीर भंडारी से इस्तीफा मांगा है. माना जा रहा है शाम तक सभी के इस्तीफे आ सकते हैं. 

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Rajasthan Organ Transplant Case: फेक ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले सरकार द्वारा उठाए गए सख्ती का असर सामने आ गया है. फर्जी एनओसी देने के मामले में घिरे सवाई मान सिंह अस्पताल के अधीक्षक डा. अचल शर्मा ने अपने पद  से इस्तीफा दे दिया है..बता दें, स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले में जिम्मेदारों से इस्तीफा मांगा था.

सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में फेक ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में एसएमएस के सुप्रीडेंटेंट डा. अचल शर्मा, कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव बगरहट्टा और आरयूएचएस के वीसी सुधीर भंडारी से इस्तीफा मांगा है. माना जा रहा है शाम तक सभी के इस्तीफे आ सकते हैं. 

फर्जी ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में राजस्थान सरकार बेहद गंभीर

गौरतलब है फर्जी ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में राजस्थान सरकार बेहद गंभीर है. SMS अस्पताल अधीक्षक पद से इस्तीफे के बाद डॉ अचल शर्मा ने कहा कि उन्होंने ने तो 3 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. माना जा रहा है कॉलेज प्राचार्य डा. राजीव भी आज इस्तीफा देंगे. स्वास्थ्य मंत्री RUHS वीसी भंडारी से भी इस्तीफा मांग चुके हैं. इस्तीफा नहीं देने की सूरत में सरकार उन्हें बर्खास्त कर सकती है. 

नए प्रिंसिपल के लिए 4-4 नामों का पैनल बनाकर भेजा 

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक और कॉलेज के प्रिंसिपल के लिए 4-4 नामों का पैनल बना कर भेजा गया है.  सूत्रों की मानें तो डॉ. सुधीर भंडारी की भूमिका पर विभाग ने सबसे अधिक नाराजगी जताई है.  विभाग का मानना है कि उन्होंने अपने स्तर पर एक्ट और पॉवर का दुरुपयोग किया है.  

सीएम एक स्पेशल सेल का कर सकते हैं गठन 

अब इस मामले में मुख्यमंत्री के स्तर पर एक स्पेशल सेल का गठन किया जा सकता है.  फिलहाल जयपुर पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एसीबी और गुड़गांव पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. खबर यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग की 3 अप्रैल को गठित कमेटी भी जल्द ही अपनी पली रिपोर्ट सौंप सकती है.  

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कमेटी के सदस्यों ने फर्जीवाड़े की सूचना दी थी 

विभाग के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कमेटी की बैठक लंबे समय तक क्यों नहीं हुई.  इस दौरान ऑर्गन ट्रांसप्लांट होते रहे हैं, खबरें भी आईं लेकिन, एनओसी देने वाली कमेटी के नजर में कोई मामला नहीं आया.  शुरुआत में विभाग कमेटी के सदस्यों के प्रति नरमी बरत रहा था. क्योंकि, कमेटी के सदस्यों ने ही इस फर्जीवाड़े की सूचना दी थी.  लेकिन, अब जांच के दौरान लापरवाही स्पष्ट होने से कमेटी के सदस्यों पर कार्रवाई निश्चित मानी जा रही है.  

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