Rajasthan Fake Handicapped Certificate: राजस्थान में हाल ही में सरकार नौकरी में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के इस्तेमाल का बड़ा खुलासा हुआ था. जिसमें फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के जरिए दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियो की पहचान हुई थी. SOG ने ऐसे 29 लोगों का मेडिकल करवाया जिसमें 24 दिव्यांग कर्मचारी अयोग्य साबित हुए, जबकि केवल 5 का प्रमाण पत्र सही पाया गया. अब राजस्थान में सरकारी नौकरियों में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र बनवाकर नौकरी हासिल करने वालों की संख्या 100 से अधिक पहुंच गई है.
एसओजी की जांच में अब तक ऐसे 100 से अधिक कर्मियों की सूची तैयार हो चुकी है जिनमें आरोपियों ने फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की है.
बड़े नेटवर्क के तहत हो रहा फर्जीवाड़ा
एसओजी के अधिकारी VK सिंह ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि यह नेटवर्क बहुत बड़ा है, जो बड़ा फर्जीवाड़ा कर रहा है. उन्होंने बताया कि इसमें कई स्तर पर धांधली की आशंका है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इन फर्जी सर्टिफ़िकेट को बनाने में सिस्टम के भीतर बैठे लोगों की भूमिका क्यों नहीं जांची गई और मेडिकल बोर्ड ने सही तरीके से सत्यापन क्यों नहीं किया.
जांच के दौरान एक बड़ा खुलासा भी हुआ है. जोधपुर के अशोक राम पुत्र चेनाराम भादू ने मेडिकल बोर्ड के सामने खुद की जगह एक वास्तविक बधिर दिव्यांग व्यक्ति को भेज दिया था. जब मामला सामने आया तो डमी कैंडिडेट पकड़ा गया लेकिन अशोक राम फिलहाल फरार है. गांधी नगर पुलिस ने श्रवण दास को गिरफ्तार किया गया है.
43 का मेडिकल बोर्ड ने किया जांच
एसओजी के मुताबिक अब तक की 43 मामलों में मेडिकल बोर्ड जांच कर चुका है. जिनमें 37 प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए हैं. विभागीय स्तर पर भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है लेकिन एसओजी की गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी कर्मी फरार हो चुके हैं.
पिछले पांच साल का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है. जैसे-जैसे शिकायतों का सत्यापन पूरा होगा एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी. यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे नेटवर्क में विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है.
यह भी पढ़ेंः करौली पंचायत उपचुनाव के नतीजों से बीजेपी और कांग्रेस में सन्नाटा, दोनों पार्टी को लगा बड़ा झटका