आनंदपाल एनकाउंटर केस में 7 साल बाद पुलिस को बड़ी राहत, कोर्ट ने माना ये 'ड्यूटी' थी, हत्या नहीं!

Jodhpur Court News: आनंनदपाल एनकाउंटर मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का संज्ञान लेने के मजिस्ट्रेट के आदेश को जोधपुर कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

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आनंदपाल एनकाउंटर: इन 7 अफसरों पर अब नहीं चलेगा हत्या का मुकदमा.
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) के आनंदपाल एनकाउंटर (Anandpal Encounter) मामले में, पुनरीक्षण न्यायालय (Revisional Court) ने मजिस्ट्रेट के उस फैसले को पूरी तरह से पलट दिया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का संज्ञान लिया गया था. कोर्ट ने साफ कहा है कि पुलिस अधिकारी एक खूंखार अपराधी को पकड़ने की अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, और इस मामले में बिना गहराई से सोचे-समझे संज्ञान लेना तथ्य और कानून दोनों के हिसाब से गलत था.

मृतक ने ही चलाई थी गोली

पुलिस अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन, राहुल चौधरी, और उमेशकांत व्यास ने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं, जिन्हें अदालत ने पूरी तरह से स्वीकार किया. वकीलों ने सबसे पहले यह साफ किया कि जांच और वैज्ञानिक सबूतों (Scientific Evidence) से यह साबित हो चुका है कि मृतक ने खुद ऑटोमैटिक हथियार से फायरिंग की थी, और उसी की गोली से पुलिस टीम का एक सदस्य गंभीर रूप से घायल हुआ था. कोर्ट ने माना कि मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते समय इस बेहद जरूरी और निर्णायक तथ्य पर ठीक से विचार नहीं किया था.

गवाहों के दावे 6 साल बाद, वो भी झूठे

दूसरी बड़ी बात यह सामने आई कि मृतक का भाई, जिसने खुद को गवाह बताया, उसने जांच के दौरान कभी खुद को चश्मदीद नहीं माना, बल्कि लगभग 6 साल बाद उसने पुलिस पर आरोप लगाए. ये आरोप किसी भी सबूत से साबित नहीं हुए, बल्कि सीबीआई की वैज्ञानिक जांच ने इन्हें गलत साबित कर दिया. कोर्ट ने इस बात को भी स्वीकारा कि जब एनकाउंटर में दोनों तरफ से फायरिंग हुई थी, तो केवल पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाना तथ्यों के हिसाब से गलत था.

हत्या सहित 37 मामलों में वांछित 47 वर्षीय आनंद पाल सिंह की 24 जून को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
Photo Credit: NDTV Reporter

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मनोबल गिराने वाला कदम

अंत में, वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए एक बहुत ही अहम दलील दी. कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि जो पुलिस अधिकारी अपनी जान खतरे में डालकर ड्यूटी करते हैं, उनके खिलाफ बिना गहराई से जांचे संज्ञान लेने से उनका मनोबल (Morale) टूटता है. इसलिए, अदालतों को ऐसे गंभीर और संवेदनशील मामलों में बहुत सावधानी के साथ फैसला करना चाहिए. 

संक्षेप में,  कोर्ट ने माना कि पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, और उनके खिलाफ संज्ञान लेने का फैसला वापस लिया जाता है, जिससे राजस्थान पुलिस के लिए यह एक बड़ी कानूनी जीत है.

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आनंद पाल के वकील बोले- हाई कोर्ट में अपील करेंगे

आनंदपाल के वकील भंवरसिंह ने NDTV राजस्थान से बातचीत में कहा, 'करीब 1 साल पहले ACGM कोर्ट, सिविल कोर्ट ने 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ संज्ञान लिया था. लेकिन उसे कोर्ट यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पुलिसकर्मियों ने अपनी आत्मरक्षा में अपनी ड्यूटी निभाते हुए उसे मारा है. इसीलिए इसे मर्डर नहीं माना है. जब मैंने फैसले को पढ़ा तो पाया कि इसमें कई कमियां हैं. अब हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि वहां हमारी अपील मंजूर होगी.'

इन 7 अफसरों पर चल रहा था हत्या का केस

बताते चलें कि 24 जून 2017 को चूरू में पुलिस ने आनंदपाल को मारकर इसे एनकाउंटर का नाम दिया था, लेकिन जुलाई 2024 में कोर्ट ने 7 अधिकारियों के खिलाप्फ हत्या का केस चलाने के आदेश दिया था. इनमें तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ, विद्या प्रकाश (जो एनकाउंटर के समय कुचामन सर्किल के पुलिस उपाधीक्षक थे), और सूर्यवीर सिंह राठौड़ (जो उस समय एसओजी में इंस्पेक्टर थे) शामिल हैं. इन तीनों अधिकारियों के अलावा, आरएसी हेड कांस्टेबल कैलाश, कांस्टेबल धर्मवीर, सोहनसिंह, और धर्मपाल पर भी हत्या का केस चल रहा था.

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