Bikaner Land Sinking: राजस्थान के बीकानेर (Bikaner) जिले से बीते दिनों जमीन के 70 फीट धंसने (Land Sinking) की खबर सामने आई थी. बीकानेर के लूणकरसर (Lunkaransar) में रातों-रात करीब डेढ़ बीघा जमीन 70 फीट तक धंस गया था. सुबह जब लोगों ने इस गड्ढ़े को देखा तो सभी आश्चर्य में पड़ गए. अब इस घटना के 4 दिन बीत चुके हैं. यहां जमीन क्यों धंसी? इसकी जांच के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इन्डिया (Geological Survey of India) की टीम को बुलावा भेजा गया है. फिलहाल घटनास्थल पर दिन-रात पुलिस का पहरा है. स्थानीय लोगों को वहां तक जाने से रोक से दिया गया है. आस-पास के लोग अभी तक खौफ में है.
उल्लेखनीय हो कि बीकानेर के लूणकरणसर के सहजरासर गाँव की ढाणी भोपालराम रोड पर 16 अप्रैल को जमीन धँसने की घटना हुई थी. यहां लगभग डेढ़ बीघा से ज़्यादा जमीन 70 फीट तक धंस गई थी. स्थानीय प्रशासन ने बीते दिनों यहां ड्रोन मंगवा कर उसका पूरा वीडियो शूट कराया है. इस वीडियो में जमीन धंसने की पूरी घटना को देखा जा सकता है.
इधर जमीन के धंसने के बाद अब गड्ढे के चारों ओर तारबन्दी करवाई गई है. एसडीएम राजेन्द्र कुमार और स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर मुस्तैद नजर आ रहे हैं. एसडीएम यह मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के इस घटना की शुरुआती एक-दो दिनों तक जांच शुरू नहीं की जा सकी थी. लेकिन अब इस मामले की विस्तृत जांच की पहल शुरू कर दी गई है.
बीकानेर में जमीन धंसने की क्या है पूरी घटना
बीकानेर की लूणकरणसर तहसील में गत 16 अप्रैल को ज़मीन धंस जाने से लोगों में दहशत फैल गई थी. लूणकरणसर इलाक़े के सहजरासर गाँव की एक ढाणी में ये हादसा पेश आया था. उस दिन ढाणी भोपालाराम रोड के लोग अपनी दिनचर्या में लगे हुए थे कि अचानक उन्होंने देखा कि ढाणी से कुछ दूर की ज़मीन धँसने लगी है. ये देखते ही उनके होश उड़ गए और आनन-फानन में उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी. सूचना मिलने पर एसडीएम राजेन्द्र कुमार पुलिस टीम के साथ वहाँ पहुँचे और ड्रॉन के ज़रिए वीडियोग्राफ़ी करवा कर पूरे मामले का अवलोकन किया गया.
जांच के लिए बीकानेर से बुलाए गए थे जियोलॉजी के एक्सपर्ट्स
इस दौरान तक़रीबन डेढ़ बीघा ज़मीन धंस गई. ज़मीन के धँस जाने से क़रीब 70 फ़ीट गहरा गड्ढा हो गया है. ज़मीन धँसने के कारणों का अभी पता नहीं चला है. इसके लिए बीकानेर से जियोलॉजी के एक्सपर्ट्स को बुलाया गया था. उनका ये अनुमान रहा कि शायद पुराने वक़्त में इस जगह पर वॉटर लॉगिंग रही होगी, जिसकी वजह से ज़मीन धंस जाने का हादसा पेश आया. लेकिन पुख़्ता नतीजे पर वे भी नहीं पहुँच पाए. उन्होंने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इन्डिया के वैज्ञानिकों से इसकी जाँच करवाने की अनुशंसा की है.
चुनाव के कारण जांच में हुई देरी
लेकिन लोकसभा चुनाव की वजह से इस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया जा सका है. हालाँकि एसडीएम राजेन्द्र कुमार ख़ुद पूरे मामले पर नज़र रखे हुए हैं और ज़िला प्रशासन को पूरी घटना से अवगत करवा चुके हैं. अब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इन्डिया की टीम आ कर इस पूरे मामले को देखेगी तब ही ज़मीन के धंस जाने का असली कारण पता चल पाएगा. हालाँकि एहतियात के तौर पर धंसी हुई ज़मीन के चारों ओर तारबन्दी करवा दी गई है और पुलिस का पहरा भी बिठा दिया गया है, ताकि कोई अनहोनी ना हो.
स्थानीय लोग प्राकृतिक आपदा मान रहे
जहाँ बीकानेर से आए भू-वैज्ञानिकों ने वॉटर लॉगिंग को ज़मीन के धँसने की वजह बताई है, वहीं स्थानीय लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं. उनका ये कहना है कि ये इलाक़ा रेगिस्तान है और सदियों से ऐसा ही रहा है. ऐसे ज़मीन के नीचे पानी के जमा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. कुछ लोग इसे प्राकृतिक आपदा मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे दैवीय प्रकोप भी कह रहे हैं. सबके अपने-अपने तर्क हैं. लेकिन वैज्ञानिक कारण तो जाँच के बाद ही पता चलेगा.
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने पीएम मोदी को भेजा पत्र
लूणकरणसर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता श्रेयांश बैद ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र भेजा है और इसकी वैज्ञानिक तरीक़े से जाँच करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि ये प्राकृतिक आपदा है. लेकिन कारणों की जाँच होनी.चाहिए ताकि आने वाले वक़्त में कोई हादसा ना हो. साथ ही अगर कोई हादसा होता है तो लोग अपना बचाव कर सकें.
SDM ने NDTV से बताई वस्तुस्थिति
लूणकरणसर एसडीएम राजेन्द्र कुमार इस घटना को लेकर बहुत संजीदा हैं. इस हादसे की सूचना मिलते ही वे तुरन्त मौक़े पर पहुँच गए थे और वहाँ पहरा लगा दिया था. एनडीटीवी ने जब उनसे बात की तो उनका कहना था कि ये मामला बहुत गम्भीर है और सुरक्षा को देखते हुए गड्ढे के चारों ओर तारबन्दी करवा दी गई है. इसके अलावा वहाँ से गुज़रने वाली सड़क को भी बन्द कर दिया गया है. लोकसभा चुनाव होने की वजह से प्रशासन व्यस्त रहा. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इन्डिया की टीम को बुलाने के लिए ज़िला प्रशासन को अवगत करवा दिया गया है. इसके अलावा सम्बन्धित क्षेत्र में धारा 144 भी लगा दी गई है.
ये अपने आप में बहुत ही बड़ी घटना है. आख़िर ज़मीन के अन्दर ऐसा क्या था, जो ये 70 फ़ीट तक धंस गई. ये खोज का विषय है. ग़ौरतलब है कि पुरानी सभ्यताएं भी खुदाई में निकलती रही है. क्या यहाँ भी किसी सभ्यता के अवशेष मिलेंगे या गैस के भन्डार मिलेंगे? इतनी बड़ी ज़मीन का सौ फ़ीट गहरे तक धंस जाना आम घटना नहीं है. इसके पीछे कोई बड़ा कारण होने की सम्भावना है.
यह भी पढ़ें - 70 फीट अंदर धंस गई डेढ़ बीघा से ज़्यादा ज़मीन, दहशत में आए ग्रामीण, हैरान हुए भूृ वैज्ञानिक