राजस्थान के सरकारी टीचर्स पर लगा 'डिजिटल पहरा', अब वॉट्सऐप पर भी नहीं कर सकेंगे ये काम!

राजस्थान के बीकानेर स्थित शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर सख्त निर्देश जारी किए हैं. अब कोई भी शिक्षक या कर्मचारी अवांछित, राष्ट्र विरोधी या असंवैधानिक पोस्ट नहीं कर पाएगा. आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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राजस्थान शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, शिक्षकों के सोशल मीडिया पोस्ट पर सख्त निगरानी. (सांकेतिक तस्वीर)

Rajasthan News: राजस्थान में अब सरकारी शिक्षकों और शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर बेबाक राय रखना आसान नहीं होगा. बीकानेर स्थित प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने शुक्रवार शाम एक ऐसा ही सख्त आदेश जारी किया है, जिसने पूरे प्रदेश के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है. इस आदेश के तहत अब कोई भी शिक्षक या कर्मचारी सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की 'अवांछित, राष्ट्र विरोधी या असंवैधानिक' पोस्ट या चैट नहीं कर पाएगा. अगर किसी ने नियमों का उल्लंघन किया, तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी.

आदेश में क्या है, और क्यों लिया गया यह फैसला?

यह आदेश प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, बीकानेर की तरफ से जारी किया गया है, जिसका सीधा असर राजस्थान के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और उनके अधीन काम करने वाले शिक्षकों पर पड़ेगा. आदेश का विषय साफ तौर पर बताता है कि यह सोशल मीडिया अकाउंट्स पर 'अनएथिकल, अवांछित व राष्ट्र विरोधी तथा संविधान विरोधी पोस्ट/चैट नहीं करने' के संबंध में है. यह आदेश सरकार के एक पत्र के संदर्भ में जारी किया गया है. इसका मतलब साफ है कि यह फैसला किसी एक अधिकारी का नहीं, बल्कि राज्य सरकार के स्तर पर लिया गया है. इस आदेश के पीछे का मकसद सरकारी कर्मचारियों, खासकर शिक्षकों को, सोशल मीडिया पर अधिक जिम्मेदार बनाना है.

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मामले से जुड़े कुछ बड़े सवाल और उनके जवाब 

Q1: यह आदेश किसने और क्यों जारी किया है?
A: यह आदेश प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर ने जारी किया है. यह फैसला राज्य सरकार के निर्देश पर लिया गया है ताकि सरकारी कर्मचारी, विशेष रूप से शिक्षक, सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी या असंवैधानिक पोस्ट न करें.

Q2: क्या यह आदेश सिर्फ शिक्षकों पर लागू होगा?
A: यह आदेश शिक्षा विभाग से जुड़े सभी सरकारी शिक्षकों और कार्मिकों पर लागू होगा.

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Q3: अगर कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है तो क्या होगा?
A: आदेश में साफ लिखा है कि उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह कार्रवाई सेवा नियमों के तहत हो सकती है, जिसमें निलंबन या अन्य विभागीय कार्यवाही शामिल है.

Q4: क्या इसका मतलब है कि शिक्षक सोशल मीडिया का उपयोग बिल्कुल नहीं कर सकते?
A: नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि शिक्षक सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकते. उन्हें सिर्फ ऐसी पोस्ट या चैट करने से रोका गया है जो 'अनएथिकल, अवांछित, राष्ट्र विरोधी या संविधान विरोधी' हों. उन्हें अपने ऑनलाइन व्यवहार के प्रति अधिक जिम्मेदार रहने का निर्देश दिया गया है.

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शिक्षकों की भूमिका और सोशल मीडिया की चुनौती

सरकारी शिक्षक समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. वे न सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श भी स्थापित करते हैं. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां सरकारी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट कीं, जिनसे विवाद खड़ा हुआ. कई बार इन पोस्ट्स को समाज में द्वेष फैलाने वाला या सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाला माना गया. इसी वजह से यह फैसला लिया गया है कि शिक्षकों को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के प्रति अधिक सतर्क रहना होगा.

आदेश का क्या होगा असर?

यह आदेश राजस्थान के लाखों सरकारी शिक्षकों पर लागू होगा. अब उन्हें अपनी निजी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भी सोच-समझकर पोस्ट करना होगा. कुछ लोग इस आदेश का समर्थन कर रहे हैं. उनका मानना है कि शिक्षकों जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को समाज में सद्भाव बनाए रखने में मदद करनी चाहिए. वहीं, कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने की कोशिश मान रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को भी अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है.

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(इनपुट:- गिरिराज भदानी)

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