Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा में भी गुरुवार को भील प्रदेश बनाने की गूंज सुनाई दी. काफी विवाद के बाद आज शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आदिवासियों पर दिए बयान पर मांफी मांग ली. हालांकि, आदिवासी समाज को लेकर भाजपा विधायक समाराम गरासिया के एक बयान के बाद फिर से राजस्थान की सिसायत गर्मा गई है. आदिवासी विधायक गरासिया ने विधानसभा में कहा कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानता, उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
आदिवासियों पर भाजपा विधायक का बयान
विधानसभा में जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी की मौजूदगी में अनुदान मांगों पर बोलने के दौरान भाजपा विधायक समाराम गरासिया ने कहा कि जो आदिवासी धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन जाते हैं. सरकार को उनकी जांच करवाकर जनजाति की सूची से हटा देना चाहिए. इसके साथ ही आदिवासी विधायक ने कहा कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते, उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. ईसाई होने के बाद भी आदिवासी के नाम पर सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं.
मदन दिलावर ने अपने बयान पर मांगी माफी
इससे पहले सुबह के समय विधानसभा में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आदिवासियों पर दिए बयान को लेकर मांफी मांग ली. उन्होंने कहा कि कहा, ‘‘ये (आदिवासी) हिंदू समाज का श्रेष्ठ अंग हैं. मेरे शब्दों से विपक्ष को या किसी आदिवासी बंधु को, जो मेरी जाति के हैं, कोई कष्ट हुआ हो तो मैं खेद प्रकट करता हूं.'' दिलावर की टिप्पणी को लेकर विपक्ष के विधायक सदन में उनका विरोध कर रहे थे. विपक्ष दिलावर के माफी मांगने और उन्हें पद से हटाने की मांग कर रहा था.
कहां से शुरू हुआ था बवाल
हाल ही में बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत ने कहा था कि वह आदिवासी समुदाय से हैं और हिंदू धर्म सहित संगठित धर्मों से अलग आस्था पद्धति को मानते हैं. इस पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था,‘‘ बीएपी के नेता खुद को हिंदू नहीं मानते हैं तो उनके डीएनए की जांच करा लेंगे." इसके बाद मदन दिलावर और राजकुमार रोत के बीच 22 जून को जुबानी जंग छिड़ गई थी. मंत्री ने कथित तौर पर आदिवासी नेता के हिंदू होने या न होने की पुष्टि के लिए डीएनए टेस्ट कराने का सुझाव दिया था.
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