Rajasthan Politics: 4 राज्यों को 49 जिलों को मिलाकर अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग काफी लंबे समय से हो रही है. हर साल 17 जुलाई को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम (Mangarh Dharm) पर भील प्रदेश की मांग को लेकर भील प्रदेश सांस्कृतिक महासम्मेलन होता है. इस बार 17 जुलाई को मुहर्रम होने की वजह से भील प्रदेश सांस्कृतिक महासम्मेलन 18 जुलाई यानी आज आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए.
भारतीय आदिवासी पार्टी की आदिवासी क्षेत्र को अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग पर जनजातीय मंत्री बाबूलाल खराड़ी का बयान सामने आया है. बाबूलाल खराड़ी ने कहा है कि विकास के लिए छोटे राज्य कारगर होते हैं. लेकिन जातीय आधार पर अलग राज्यों की मांग करना सही नहीं है. इससे अलग-अलग जातीय और समाज के लोग अलग-अलग राज्यों की मांग करने लगेंगे. सामाजिक तानाबाना बिगड़ने लगेगा.
मांग जायज नहीं- बाबूलाल खराड़ी
उन्होंने आगे कहा कि मांग करना प्रत्येक राजनीतिक दल का अधिकार है, लेकिन यह मांग जायज़ नहीं है. राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान की भैरोसिंह शेखावत की सरकार हो या फिर केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार या वर्तमान में मोदी सरकार आदिवासी बेल्ट में पानी बिजली सड़क जैसी प्राथमिक सुविधाओं पर हमेशा से फ़ोकस किया है. कुछ काम वन्य क्षेत्र की वजह से पेंडिंग है. उन पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है.
बता दें कि भारत आदिवासी पार्टी का गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों बाहुल्य सीटों पर अच्छा-खासा दखल है. इन चारों राज्यों की 49 जिले और एक केंद्र शासित प्रदेश को शामिल करते हुए अलग भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है.
भील प्रदेश में किस राज्य के कौन-कौन जिले की मांग
- गुजरात- अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा और भरुचा
- राजस्थान- बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली
- मध्य प्रदेश- इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, अलीराजपुर
- महाराष्ट्र- नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार, अलीराजपुर
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