
Jaisalmer chhatri Controversy: जैसलमेर के बासनपीर गांव में उपजे तनाव पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अराजक तत्व याद रखें, पत्थरबाजी तो क्या एक कंकड़ भी सामाजिक अस्मिता पर हमला है. साथ ही ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों को चेतावनी भी दी. शेखावत ने कहा कि रामचंद्र सिंह सोढ़ा और हदूद पालीवाल समाज का गौरव हैं. दोनों महान विभूतियों के नाम पर निर्मित छतरियां प्रेरणा स्थान हैं. करीब 6 साल से यह विवाद चला आ रहा है. इसे लेकर कई बार बवाल हो चुका है.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सख्त लहजे में दिया संदेश
उन्होंने कहा कि जैसलमेर के बासनपीर गांव में जुंझार रामचंद्र सिंह सोढ़ा और हदूद पालीवाल की ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य में अराजकतावादी तत्वों द्वारा बाधा उत्पन्न करना दुर्भाग्यजनक है. केंद्रीय मंत्री ने सख्त लहजे में कहा, "सामाजिक अस्मिता पर हमला करने वाले ऐसे अराजक तत्वों को बहुत गंभीर परिणाम भुगतेंगे. समाज में शांति महत्वपूर्ण है, समुदाय को विभक्त करने वाली हरकतें नहीं."
बासनपीर गांव में श्रद्धेय जुंझार रामचंद्र सिंह सोढ़ा जी और हदूद जी पालीवाल की ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण कार्य में अराजकतावादी तत्वों द्वारा बाधा उत्पन्न करने का प्रयास दुर्भाग्यजनक है। रामचंद्र सिंह सोढ़ा जी और पालीवाल जी समाज का गौरव हैं। दोनों महान विभूतियों के नाम पर…
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) July 11, 2025
पत्थरबाजी में 4 लोग हुए घायल
बता दें कि जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में रियासतकालीन वीर झुंझार रामचंद्र सोढ़ा और हदूद पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियों के निर्माण के दौरान विवाद हुआ था. इस दौरान सैकड़ों महिलाओं और युवाओं द्वारा पत्थरबाजी कर जानलेवा हमला किया गया, जिसमें करीब 4 लोग घायल हुए है.
यह विवाद साल 2019 में शुरू हुआ. जब एक अध्यापक द्वारा कुछ लोगों को उकसाकर छतरी को तोड़ने का काम करवाया गया था. जिसके बाद इस मामले में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति द्वारा इस कृत्य के खिलाफ विरोध किया गया था. संघर्ष समिति का कहना है कि साल 2021 में विवाद के चलते प्रशासन पर तत्कालीन सरकार ने दबाव बनाकर काम रुकवाया था, जो कि नीति संगत नहीं था.
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