भाजपा सांसद ने पर्यटन मंत्री को लिखा पत्र, ढ़ाई दिन के झोपडे की हो जांच, हिंदु पुराणों का छिपा है इतिहास

भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को पत्र लिखकर ढाई दिन के झोपड़े की जांच करने की मांग की है.

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ढ़ाई दिन का झोपड़ा, अजमेर, राजस्थान

Dhai Din Ka Jhopada Ajmer: जयपुर से भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने संस्कृति पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को एक पत्र लिखकर अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से 100 मीटर की दूरी पर बने ढाई दिन के झोपड़े की जांच करने की मांग की है.

कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था झोपड़ा

पत्र में रामचरण बोहरा ने लिखा है कि अजमेर स्थित ढाई दिन का झोपड़ा जो की 12वीं सदी में महाराज विग्रहराज चौहान द्वारा देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था. उसे 1294 ई. में मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था. यह केंद्र वेद पुराणों का प्रसारक होने के साथ ही संस्कृत शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है.

आज भी ढाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के दाएं और बाएं की दीवार में स्वास्तिक का निशान भी देखा जा सकता है. बोहरा ने यह भी पत्र में लिखा कि मुगलों के आतंक की दास्तान का यह चिन्ह आज भी भारतीय समाज के लिए कलंक है. अतः इसे मूल स्वरूप में परिवर्तत करने के लिए यह पत्र भेजा गया है.

पुन: स्थापित हो सकेगा संस्कृत शिक्षण केंद्र

इस पत्र के माध्यम से तुरंत वस्तु स्थिति का पता लगाकर उचित कार्रवाई की जाए. जिससे महाराज विग्रह राज के लोकोत्तर व्यक्तित्व और कृतित्व के साथ ही पुरातन और महत्वपूर्ण संस्कृत शिक्षण केंद्र पर पुन: स्थापित हो सकेगा. जो की सनातन धर्म के संरक्षण और विस्तार से महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.

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केंद्र और राज्य सरकार से की मांग

अजमेर नगर निगम के उप महापौर और भारतीय जनता पार्टी के नेता नीरज जैन ने भी बताया कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती. ढाई दिन के झोपड़े का सच सबके सामने आना चाहिए. वहां स्थित संस्कृत पाठशाला को मोहम्मद गौरी  नामक आक्रांत ने तोड़ा था.

अब जैन के द्वारा भी यह मांग की गई है कि पुरातत्व विभाग और अजमेर संग्रहालय में रखें वहां के अवशेष भी इसका प्रमाण दे रहे हैं. उन्होंने भारत सरकार और राजस्थान सरकार से मांग करी है की, उनके गौरव के इन मापदंडों को पुण्य स्थापित किया जाए.

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