Opium White flowers: काला सोना की खेती कहे जाने वाली अफीम की खेती में सफेद फूल खिलने लगे हैं. फूलों के खिलने के साथ ही अफीम डोडा भी दिखने लगे है. चित्तौड़गढ़ जिले के तीन खण्डों में परंपरागत व सीपीएम पद्धति की जा रही अफीम की खेती की बुआई अक्टूबर माह शुरू होती है. इस साल नॉरकोटिक्स विभाग ने करीब 20 हज़ार से अधिक किसानों को खेती के लिए अफीम पट्टे जारी किए हैं.
गौरतलब है नारकोटिक्स विभाग ने प्रति किसान 10 आरी का लाइसेंस दिए हैं. अफीम किसानों को प्रति आरी निश्चित मापदंड के अनुसार विभाग को अफीम का तौल करवाना पड़ता हैं. प्रति आरी लाइसेंस के हिसाब से अफीम का कम उत्पादन होता हैं, तो उस किसान का लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता हैं.
तीन खड़ों में 20109 अफीम किसानों को मिला पट्टा
चित्तौड़गढ़ नारकोटिक्स विभाग में तीन खण्ड शामिल हैं. इसमें पहले खंड में चित्तौड़गढ़, भदेसर व उदयपुर की वल्लभ नगर तहसीलें शामिल हैं. वहीं, द्वितीय खंड में कपासन, भूपालसागर, डूंगला, गंगरार, राशमी व उदयपुर की मावली तहसील हैं, जबकि तृतीय खंड में निम्बाहेड़ा व बड़ीसादड़ी तहसीलें हैं. जिले की 2 तहसीलें बेगूं व रावतभाटा भीलवाड़ा खंड में हैं.
बिना चीरा सीधे डोडे विभाग को देने का मिला लाइसेंस
तीनों खण्डों में करीब 25 फीसदी पट्टे इस बार सीपीएस यानी बिना चीरा लगाएं सीधे डोडे विभाग को देने के लाइसेंस दिए गए हैं. गम पद्धति यानी अफीम डोडे पर चीरा लगाकर अफीम की लुवाई करके विभाग को तौल करवाया जाता हैं. गम पद्धति में इस बार 15088 अफीम किसानों और सीपीएस पद्धति में 5021 अफीम किसानों को 10-10 आरी की अफीम के पट्टे जारी किए गए हैं.
अप्रैल में शुरू होगा अफीम तौल, कड़ी सुरक्षा होंगे रवाना
अफीम का तौल अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में शुरू होने की संभावना हैं. खण्ड के अनुसार अफीम किसानों के द्वारा लुवाई की गई अफीम का तौल शुरू किया जाएगा. अफीम तौल पूर्ण होने के बाद ट्रेन से कड़ी सुरक्षा में अफीम फेक्ट्री तक अफीम ले जायी जाएगी.
किस खण्ड में कितने अफीम पट्टे?
प्रथम खण्ड में 312 गांवों में 5204 अफीम चिराई व 2399 सीपीएस पद्धति के पट्टे दिए गए हैं। दूसरे खण्ड में 153 गांवों में 4484 अफीम डोडे चिराई व 1311 सीपीएस पद्धति के पट्टे दिए गए हैं। इसी तरह तीसरे खण्ड में 208 गांवों में 5400 अफीम पट्टे डोडे चिराई व 1311 पट्टे सीपीएस पद्धति में दिए गए हैं. चित्तौड़गढ़ की तीनों खण्डों में कुल 673 गांवों में अफीम के पट्टे दिए हैं.
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